'त्यागपथी' खण्डकाव्य में हर्षवर्धन का चरित्र एक आदर्श और महान नायक के रूप में चित्रित किया गया है। वह एक सम्राट होने के बावजूद अपने कर्तव्यों और समाज के कल्याण के प्रति पूरी तरह से समर्पित था।
हर्षवर्धन का त्याग और निष्ठा: हर्षवर्धन अपने प्रजा के कल्याण के लिए व्यक्तिगत सुखों का त्याग करने वाला सम्राट था। उसने सत्ता और भौतिक सुखों के बजाय धार्मिक और समाजिक कल्याण को प्राथमिकता दी।
हर्षवर्धन की धार्मिकता और कर्तव्यनिष्ठा: वह एक धर्मनिष्ठ और कर्तव्यपरायण सम्राट था, जिसने अपने शासनकाल में धार्मिक और सामाजिक सुधारों को प्राथमिकता दी। उसकी धार्मिक निष्ठा उसे एक आदर्श नायक बनाती है।
हर्षवर्धन का बलिदान: हर्षवर्धन अपने प्रजा की भलाई के लिए खुद को बलिदान करने को तैयार था। वह यह मानता था कि एक सम्राट का मुख्य कर्तव्य अपने प्रजा की भलाई में निहित है।
हर्षवर्धन का न्याय और दया: हर्षवर्धन ने हमेशा न्याय और दया का पालन किया। वह अपने साम्राज्य में शांति और न्याय सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ था, और उसका चरित्र त्याग, बलिदान और समाज के प्रति दया की मिसाल प्रस्तुत करता है।
हर्षवर्धन का चरित्र त्याग, निष्ठा, बलिदान और न्याय की प्रेरणा देता है, जो उसे एक आदर्श शासक और नायक बनाता है।