'त्यागपथी' खण्डकाव्य में प्रमुख नारी पात्र का चित्रण त्याग, बलिदान और महान नैतिकता की मिसाल के रूप में किया गया है। यह पात्र सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्यों के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण के लिए प्रसिद्ध है। उसकी विशेषताएँ उसकी अद्वितीय मानसिकता और संघर्षों को दर्शाती हैं, जो उसे एक आदर्श नारी बनाती हैं।
प्रमुख नारी पात्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
त्याग और बलिदान: इस पात्र ने अपने व्यक्तिगत सुखों और इच्छाओं को त्याग कर परिवार और समाज के भले के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। वह हमेशा दूसरों के लिए अपने व्यक्तिगत लाभों का बलिदान करने के लिए तैयार रहती है।
कर्तव्यनिष्ठा: नारी पात्र हमेशा अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान रहती है। चाहे वह पति, परिवार या समाज के लिए हो, वह अपने कर्तव्यों का पालन सच्चे दिल से करती है।
समाज सुधारक: यह पात्र समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ खड़ी होती है और उसे सुधारने के लिए हर संभव प्रयास करती है। वह समाज में नैतिकता और शुद्धता का प्रसार करने का कार्य करती है।
धैर्य और संयम: नारी पात्र के पास असाधारण धैर्य और संयम है, जो उसे कठिन परिस्थितियों में भी संतुलित और दृढ़ रहने की क्षमता प्रदान करता है। वह किसी भी संकट का सामना शांति और साहस के साथ करती है।
आध्यात्मिक शक्ति: इस पात्र में एक गहरी आध्यात्मिक शक्ति है, जो उसे आंतरिक शांति और संतुलन प्रदान करती है। उसकी भक्ति और विश्वास उसे कठिनतम परिस्थितियों में भी उबारने की शक्ति देते हैं।
इस प्रकार, 'त्यागपथी' खण्डकाव्य की प्रमुख नारी पात्र का चरित्र त्याग, कर्तव्य, और समाज के प्रति समर्पण का आदर्श प्रस्तुत करता है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ उसे एक आदर्श नारी बनाती हैं, जो हर महिला के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।