Question:

स्वपठित खण्डकाव्य के आधार पर खण्डकाव्य के एक प्रश्न का उत्तर लिखिए: (अधिकतम शब्द - सीमा 80 शब्द) 'रश्मिरथी' खण्डकाव्य के 'तृतीय सर्ग' की घटना का उल्लेख कीजिए। 
 

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तृतीय सर्ग में कर्ण के आत्मसंघर्ष और मित्रता की वचनबद्धता पर ध्यान दें, जो उसके जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है।
Updated On: Nov 14, 2025
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Solution and Explanation

'रश्मिरथी' के तृतीय सर्ग में कर्ण की वीरता और उसके मानसिक संघर्ष की प्रमुख घटना को दर्शाया गया है। इस सर्ग में कर्ण के जीवन की कठिनाइयाँ और उसकी मानसिक स्थिति पर प्रकाश डाला गया है।
कर्ण का वचन और मित्रता: तृतीय सर्ग में कर्ण अपने मित्र दुर्योधन के प्रति अपनी निष्ठा और वचनबद्धता को व्यक्त करता है। वह दुर्योधन के लिए किसी भी बलिदान को तैयार रहता है, और यह उसकी वचनबद्धता और मित्रता का प्रतीक है।
कर्ण का आत्मसंघर्ष: इस सर्ग में कर्ण के भीतर चल रहे आत्मसंघर्ष को उजागर किया गया है। वह हमेशा अपने अस्तित्व और अपने धर्म को लेकर जूझता है। उसकी स्थिति यह बताती है कि वह अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान रहते हुए भी अपनी अस्मिता के संघर्ष में उलझा हुआ है।
कर्ण का बलिदान: इस सर्ग में कर्ण के द्वारा किए गए बलिदानों का उल्लेख है, जिसमें उसने अपने स्वयं के शाप और कर्तव्यों को स्वीकार किया और अपने जीवन को महानता की ओर अग्रसर किया।
तृतीय सर्ग में कर्ण का चित्रण उसकी कर्तव्यनिष्ठता, संघर्ष और बलिदान के रूप में किया गया है, जो उसे एक महान नायक के रूप में प्रस्तुत करता है।
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