Question:

सुपुस्पितांस्तु पश्यैतान् कर्णिकारान् समन्ततः । हारक प्रति सञ्छत्रान् नरान् पीताम्बरानिव ।।

Show Hint

कर्णिकार वृक्ष की पीली पुष्प-लताएँ सोने के आभूषणों जैसी प्रतीत होती हैं, जो प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक हैं।
Updated On: Nov 15, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

सन्दर्भ: यह श्लोक प्राकृतिक सौंदर्य के वर्णन से संबंधित है। इसमें कर्णिकार (अमलतास) वृक्षों की सुंदरता का उल्लेख किया गया है, जिनकी पीली पुष्पावलियाँ सोने के आभूषणों जैसी प्रतीत होती हैं।
हिन्दी अनुवाद: चारों ओर इन खिले हुए कर्णिकार (अमलतास) वृक्षों को देखो, जो अपनी पीली पुष्पावलियों से पूरी प्रकृति को आभायुक्त बना रहे हैं। वे ऐसे प्रतीत हो रहे हैं जैसे कोई सुशोभित आभूषण हो, और उनकी लटकती हुई पुष्प-मालाएँ पीले वस्त्र धारण किए हुए मनुष्यों के समान दिख रही हैं।
यह श्लोक हमें प्रकृति की सुंदरता और उसके अनुपम सौंदर्य की ओर आकर्षित करता है। यह संदेश देता है कि प्रकृति का सौंदर्य दिव्यता और आध्यात्मिकता का प्रतीक होता है।
Was this answer helpful?
0
0