'सत्य की जीत' खण्डकाव्य में नायिका का चरित्र साहस, सत्यनिष्ठा और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक है। वह केवल एक साधारण नारी नहीं, बल्कि संघर्षशील और सत्य के मार्ग पर अडिग रहने वाली आदर्श महिला के रूप में चित्रित की गई है।
सत्य और न्याय की समर्थक: नायिका सदैव सत्य और न्याय का समर्थन करती है, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों। वह अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करती।
संघर्षशील और दृढ़ निश्चयी: समाज और परिस्थितियाँ उसके मार्ग में बाधाएँ उत्पन्न करती हैं, लेकिन वह धैर्य और साहस के साथ उनका सामना करती है।
कर्तव्यनिष्ठ और त्यागमयी: नायिका अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा के साथ निभाती है। वह समाज के कल्याण के लिए व्यक्तिगत सुखों का त्याग करने को भी तत्पर रहती है।
प्रेरणादायक व्यक्तित्व: नायिका का चरित्र पाठकों को सिखाता है कि सत्य की राह पर चलने वाले व्यक्ति को अंततः विजय प्राप्त होती है, भले ही उसे संघर्षों का सामना करना पड़े।
यह नायिका केवल कथा का पात्र नहीं, बल्कि सत्य और साहस का जीवंत उदाहरण है, जो समाज को नैतिकता और कर्तव्यपरायणता की सीख देती है।