Question:

'सत्य की जीत' खण्डकाव्य के आधार पर 'दुःशासन' का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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दुःशासन का चरित्र अधर्म और अहंकार का प्रतीक है, जो अंततः सत्य के समक्ष पराजित होता है।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

'सत्य की जीत' खण्डकाव्य में दुःशासन का चरित्र अधर्म, अहंकार और अन्याय का प्रतीक है। वह दुर्योधन का अनुयायी और कौरव पक्ष का एक क्रूर योद्धा है, जो अन्याय और अत्याचार की भावना से प्रेरित रहता है।
अन्यायी और क्रूर: दुःशासन ने द्रौपदी के चीरहरण का प्रयास किया, जिससे उसकी क्रूरता और अनैतिकता प्रकट होती है।
अहंकारी और अधर्मी: वह धर्म के विरुद्ध कार्य करता है और अन्याय का समर्थन करता है।
दुर्योधन का अंधभक्त: दुःशासन दुर्योधन की नीतियों का आँख मूँदकर समर्थन करता है और कौरवों की ओर से हर अधार्मिक कार्य में सहायक बनता है।
अंततः अधर्म का पतन: महाभारत युद्ध में भीम द्वारा उसका वध अधर्म के नाश और सत्य की विजय का प्रतीक बनता है।
दुःशासन का चरित्र यह दर्शाता है कि अन्याय और अत्याचार की प्रवृत्ति अंततः विनाश का कारण बनती है।
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