'सत्य की जीत' खण्डकाव्य में द्रौपदी का चरित्र अत्यधिक मजबूत और प्रेरणादायक रूप में प्रस्तुत किया गया है। उनके व्यक्तित्व की प्रमुख चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
धैर्य और साहस: द्रौपदी का जीवन कठिनाइयों और अपमानों से भरा हुआ था, फिर भी उन्होंने कभी अपनी शक्ति और साहस को नहीं खोया। महाभारत के कौरव सभा में उनके साथ जो घटित हुआ, उससे द्रौपदी का साहस और धैर्य स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
न्यायप्रियता: द्रौपदी के व्यक्तित्व में न्याय के प्रति गहरी आस्था थी। उन्होंने हर परिस्थिति में सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। यह उनके चरित्र का एक महत्वपूर्ण पहलू था, जो उनके जीवन के हर पहलू में दिखाई देता है।
स्वाभिमान: द्रौपदी का स्वाभिमान उनका प्रमुख गुण था। वे कभी भी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करतीं। उनके अपमान के बाद भी उन्होंने न केवल अपनी मर्यादा को बनाए रखा, बल्कि दूसरों को भी न्याय की ओर प्रेरित किया।
सामाजिक दृष्टिकोण: द्रौपदी का चरित्र समाज के प्रति जागरूक था। उन्होंने न केवल अपने व्यक्तिगत कष्टों के लिए बल्कि समाज के लिए भी अपनी आवाज़ उठाई। उनका दृष्टिकोण न केवल स्वयं के लिए, बल्कि पूरे समाज के कल्याण के लिए था।
द्रुत निर्णय लेने की क्षमता: द्रौपदी के चरित्र में एक विशेष गुण यह था कि वे हर परिस्थिति में त्वरित निर्णय ले सकती थीं। उनकी यह क्षमता उन्हें एक कुशल और प्रभावी नेता बनाती है, जो हर समय सही निर्णय लेती है।
'सत्य की जीत' में द्रौपदी का यह चरित्र सत्य, साहस, और न्याय के लिए संघर्ष करने का प्रतीक है। उनके गुणों ने उन्हें एक महान महिला पात्र बना दिया।