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सूक्ति की हिन्दी में व्याख्या कीजिए : सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात्सत्यमप्रियम्

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इस सूक्ति की व्याख्या करते समय इसके तीनों खंडों का अलग-अलग अर्थ स्पष्ट करें और फिर एक समन्वित निष्कर्ष प्रस्तुत करें।
Updated On: Nov 17, 2025
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Solution and Explanation

व्याख्या:
यह एक प्रसिद्ध नीति-वचन है जो हमें वाणी के सही प्रयोग की शिक्षा देता है। इसका अर्थ है - 'सत्य बोलना चाहिए, प्रिय (मीठा) बोलना चाहिए, परन्तु अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिए'।
इस सूक्ति के तीन भाग हैं:
सत्यं ब्रूयात्: हमें हमेशा सच बोलना चाहिए।
प्रियं ब्रूयात्: हमारी वाणी मधुर और दूसरों को प्रिय लगने वाली होनी चाहिए।
न ब्रूयात्सत्यमप्रियम्: हमें ऐसा सत्य भी नहीं बोलना चाहिए जो दूसरों को अत्यंत कष्ट पहुँचाए या अप्रिय लगे। यदि कोई बात सत्य हो परन्तु कठोर और सुनने में अप्रिय हो, तो उसे कहने से बचना चाहिए या उसे विनम्रता से कहना चाहिए।
यह सूक्ति हमें वाणी में सत्य और मधुरता के संतुलन को बनाए रखने का संदेश देती है।
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