Question:

संस्कृत गद्यांशों में से किसी एक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए : संस्कृतस्य साहित्यं सरसं, व्याकरणञ्च सुनिश्चितम् । तस्य गद्ये पद्ये च लालित्यं, भावबोधसामर्थ्यम्, । अद्वितीयं श्रुतिमाधुर्यञ्च वर्तते । किं बहुना चरित्रनिर्माणार्थं यादृशी सत्प्रेरणां संस्कृतवाङ्मयं ददाति न तादृशीं किञ्चिदन्यत् । मूलभूतानां मानवीयगुणानां यादृशी विवेचना अन्ये संस्कृतसाहित्ये वर्तते, नान्यत्र तादृशी । दया, दानं शौचम्, औदार्यम्, अनसूया, क्षमा, चानेके गुणाः अस्य साहित्यस्य अनुशीलेन सञ्जायन्ते ।

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संस्कृत साहित्य में निहित मानवीय गुणों को समझकर हम अपने जीवन में शुद्धता, दया, और उदारता जैसे गुणों को अंगीकार कर सकते हैं।
Updated On: Nov 14, 2025
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Solution and Explanation

संस्कृत साहित्य अत्यंत सरस और सुनिश्चित व्याकरण से परिपूर्ण है। इसके गद्य और पद्य दोनों में लालित्य, भावबोध की सामर्थ्य, अद्वितीय श्रुतिमाधुर्य विद्यमान हैं। विशेष रूप से, संस्कृत साहित्य चरित्र निर्माण के लिए विशेष प्रेरणा प्रदान करता है, जो अन्यत्र कहीं उपलब्ध नहीं है। यह साहित्य मानव गुणों का गहरे विवेचन के साथ वर्णन करता है, जैसे दया, दान, शौच, उदारता, अनसूया, क्षमा आदि। इन गुणों का अभ्यास करने से व्यक्ति में इन गुणों का समावेश होता है और यह उसे एक आदर्श मनुष्य बनने की दिशा में मार्गदर्शन करता है। संस्कृत साहित्य मानवता के उच्चतम मानवीय गुणों को उजागर करता है और समाज में नैतिकता, दया और शुद्धता की भावना का प्रसार करता है।
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