'श्रवणकुमार' खण्डकाव्य भारतीय संस्कृति में पुत्र धर्म, सेवा और त्याग के महत्व को दर्शाने वाला एक प्रेरणादायक काव्य है। इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
आदर्श पुत्र की कथा: इस खण्डकाव्य में श्रवणकुमार को एक आदर्श पुत्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसने अपने माता-पिता की सेवा को जीवन का उद्देश्य बना लिया था।
संवेदनशीलता और करुणा: यह काव्य पाठकों में करुणा उत्पन्न करता है और पारिवारिक मूल्यों को सुदृढ़ करने का कार्य करता है।
नैतिक शिक्षा: यह काव्य नैतिकता, कर्तव्यनिष्ठा और त्याग की शिक्षा देता है, जिससे समाज में सच्चे मूल्यों की स्थापना होती है।
सरल एवं प्रभावी भाषा: इसमें भाषा सरल, काव्यात्मक और प्रवाहमयी है, जिससे पाठक इसकी गहन भावना को सहजता से समझ सकते हैं।
मानवीय संवेदनाओं का चित्रण: इसमें पुत्र का माता-पिता के प्रति प्रेम, सेवा और बलिदान का हृदयस्पर्शी चित्रण किया गया है, जो हर युग में प्रासंगिक बना रहता है।
'श्रवणकुमार' खण्डकाव्य केवल एक कथा नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक संदेश है, जो हमें सिखाता है कि माता-पिता की सेवा और त्याग ही सच्चा धर्म है।