'श्रवणकुमार' खण्डकाव्य की प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं:
श्रवणकुमार का आगमन: श्रवणकुमार अपने अंधे माता-पिता को वनवास में ले जाने के लिए अपने कंधों पर पालकी उठाकर यात्रा करता है। उसकी यह यात्रा और माता-पिता के प्रति समर्पण कहानी का मुख्य विषय है।
दशरथ से मुठभेड़: श्रवणकुमार के साथ एक दुखद घटना घटती है, जब राजा दशरथ ने शिकार के दौरान उसे मार दिया। दशरथ को यह नहीं पता था कि वह श्रवणकुमार को मार रहा है, और यह घटना उसके लिए एक बड़ा दुखद मोड़ बन जाती है।
श्रवणकुमार का मृत्यु के बाद शाप: श्रवणकुमार की मृत्यु के बाद उसके माता-पिता राजा दशरथ से शाप देते हैं कि जैसे उनका पुत्र वनवास चला गया, वैसे ही राजा दशरथ के पुत्र राम को भी वनवास जाना होगा। यह घटना कथा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
राजा दशरथ का शोक: श्रवणकुमार की मृत्यु के बाद राजा दशरथ अत्यधिक शोक में डूब जाते हैं। वह अपने किए गए कार्य पर पछताते हैं और उसके परिणामस्वरूप राम को वनवास भेजने का निर्णय लेते हैं। यह घटनाएँ दशरथ के जीवन को शोक और पाप से भर देती हैं।
काव्य में इन घटनाओं के माध्यम से परिवार, कर्तव्य, और भाग्य के जटिल संबंधों को दर्शाया गया है।