'श्रवणकुमार' खण्डकाव्य में दशरथ का चरित्र अत्यधिक भावनात्मक और नैतिक दृष्टिकोण से चित्रित किया गया है। वह एक आदर्श सम्राट और पिता के रूप में दिखाए गए हैं।
दशरथ का प्रेम और कर्तव्य: दशरथ अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान और अपने परिवार से अत्यधिक प्रेम करने वाले व्यक्ति हैं। वह एक आदर्श शासक हैं, जिन्होंने अपने राज्य की भलाई के लिए हमेशा उचित निर्णय लिए।
श्रवणकुमार के प्रति जिम्मेदारी: दशरथ का श्रवणकुमार के प्रति विशेष स्नेह था, और उन्होंने अपने जीवन के कर्तव्यों को निभाने के लिए अत्यधिक बलिदान किए। वह अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग थे, लेकिन एक पिता के रूप में वह अपने पुत्र के दुखों को सहन नहीं कर सके।
दशरथ का आंतरिक संघर्ष: दशरथ का चरित्र आंतरिक संघर्षों से भरा हुआ था, खासकर जब उसे श्रवणकुमार के मृत्यु के बाद अपने किए गए वचन के अनुसार बेटे को वनवास भेजने की स्थिति का सामना करना पड़ा।
नैतिकता और विषाद: दशरथ का चरित्र नैतिकता के सिद्धांतों से प्रेरित था, लेकिन उसने जो निर्णय लिया, वह उसे व्यक्तिगत रूप से अत्यधिक दुख और विषाद में डाल दिया। उसकी शोकपूर्ण स्थिति दर्शाती है कि एक आदर्श पिता और सम्राट होने के बावजूद, कभी-कभी निर्णयों के परिणाम बहुत कष्टकारी हो सकते हैं।
दशरथ का चरित्र बलिदान, कर्तव्य, और पिता के प्रति गहरे प्रेम का प्रतीक है, और वह इस काव्य के नायक के रूप में अपना महत्व रखते हैं।