Step 1: श्रृंगार रस.
- स्थायी भाव: रति (प्रेम भाव)।
- यह रस नायक और नायिका के प्रेम, शृंगारिक भावनाओं और सौंदर्य पर आधारित है।
- उदाहरण: "काहे को ब्याही बिदेस, लाज लगि जाय।" (विदा के समय नायिका का भाव)
Step 2: वात्सल्य रस.
- स्थायी भाव: माता-पिता और संतान के बीच का स्नेह।
- यह रस बालक की चेष्टाओं और माता-पिता के ममत्व से उत्पन्न होता है।
- उदाहरण: यशोदा का श्रीकृष्ण को झूलाना।
Step 3: निष्कर्ष.
श्रृंगार रस जहाँ प्रेम का सौंदर्य है, वहीं वात्सल्य रस माता-पिता और संतान के स्नेह का चित्रण करता है।