'श्रवणकुमार' खण्डकाव्य की प्रमुख घटना वह समय है जब श्रवणकुमार अपने अंधे माता-पिता को तीर्थयात्रा पर ले जाने के लिए जंगल की कठिन यात्रा पर जाता है। उसका मुख्य उद्देश्य अपने माता-पिता की सेवा करना था, क्योंकि वे अंधे थे और स्वयं यात्रा करने में असमर्थ थे। श्रवणकुमार ने अपने माता-पिता को कंधे पर रखकर लंबी यात्रा की। इस दौरान, राजा दशरथ ने श्रवणकुमार को गलती से शिकार समझकर तीर चला दिया, जिससे श्रवणकुमार की मृत्यु हो गई।
इस घटना के बाद, श्रवणकुमार के माता-पिता ने इस दुखद घटना को जानने के बाद कड़ी सजा की मांग की। उनकी निष्ठा, त्याग, और कर्तव्य के प्रति श्रद्धा ने उन्हें महान बना दिया, और यह घटना भारतीय समाज में माता-पिता के प्रति आदर और कर्तव्य के महत्व को दर्शाती है।
माता-पिता की सेवा का कर्तव्य: यह घटना हमें यह सिखाती है कि माता-पिता की सेवा और उनका आदर करना सर्वोत्तम कर्तव्य है।
त्याग और बलिदान: श्रवणकुमार का अपने माता-पिता के प्रति समर्पण और बलिदान का उदाहरण आज भी प्रेरणास्त्रोत है।
दुखद परिणाम: यह घटना एक दुखद परिणाम के रूप में सामने आती है, जब एक गलतफहमी के कारण श्रवणकुमार की मृत्यु हो जाती है।
इस प्रकार, 'श्रवणकुमार' खण्डकाव्य की प्रमुख घटना न केवल त्याग और कर्तव्य का प्रतीक है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि किसी व्यक्ति का जीवन उसके कर्तव्यों के प्रति निष्ठा से महान बनता है।