‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य की कथावस्तु पर विचार कीजिए।
\(\textbf{Step 1: भूमिका.}\)
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य में कवि ने पौराणिक कथा के माध्यम से \(\textbf{माता-पिता की सेवा, भक्ति और जीवन मूल्यों}\) का मार्मिक चित्रण किया है। यह कथा भारतीय संस्कृति की भावनात्मक नींव को दर्शाती है।
\(\textbf{Step 2: कथावस्तु.}\)
श्रवणकुमार अपने नेत्रहीन माता-पिता को तीर्थयात्रा के लिए ले जाते हैं। जल भरने के समय राजा दशरथ द्वारा छोड़े गए बाण से उनकी मृत्यु हो जाती है। मरते समय श्रवण अपने माता-पिता की सेवा की चिंता करता है। उसके माता-पिता भी पुत्र-वियोग से प्राण त्याग देते हैं।
\(\textbf{Step 3: विचार.}\)
यह कथावस्तु त्याग, सेवा और करुणा का अद्वितीय उदाहरण है। इसमें \(\textbf{पुत्रधर्म, मातृ-पितृ भक्ति और मानवीय संवेदनाओं}\) का अत्यंत सुंदर चित्रण है। यह कहानी कर्तव्य और भक्ति की महिमा को उजागर करती है।
\(\textbf{Step 4: निष्कर्ष.}\)
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य भारतीय संस्कृति के मूल्यों — \(\textbf{पितृभक्ति, सेवा, और त्याग}\) — को अमर बना देता है। यह काव्य हमें बताता है कि सच्चा धर्म सेवा और समर्पण में निहित है।
\[ \text{श्रवणकुमार} \;\Rightarrow\; \text{सेवा + भक्ति + त्याग = भारतीय संस्कृति का आदर्श} \]
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य में दशरथ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
'तृमूल' खण्डकाव्य के आधार पर
(i) प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(ii) 'तृमूल' खण्डकाव्य का कथानक संक्षेप में लिखिए।
'अमृतपूजा' खण्डकाव्य की
(i) कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
(ii) श्रीकृष्ण का चरित्रांकन कीजिए।
'कर्मवीर भरत' खण्डकाव्य के आधार पर
(i) भरत का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(ii) किसी एक सर्ग का कथानक लिखिए।
'कर्ण' खण्डकाव्य के आधार पर
(i) कर्ण का चरित्रांकन कीजिए।
(ii) तृतीय सर्ग की कथा अपने शब्दों में लिखिए।