'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य का प्रमुख पात्र 'राजा' एक अत्यंत प्रेरणादायक और नैतिक दृष्टि से दृढ़ व्यक्ति है। उसका चरित्र धर्म, कर्तव्य, और समाज के प्रति जिम्मेदारी की गहरी भावना से भरपूर है। राजा ने अपने राज्य और प्रजा के कल्याण के लिए अनेक कठिन निर्णय लिए। वह सच्चाई और न्याय का पालन करने के लिए अपने व्यक्तिगत सुखों का बलिदान देने को तैयार रहता है। उसकी निष्ठा और समर्पण उसे आदर्श नायक बनाता है। इसके अलावा, राजा का अंतःकरण शुद्ध और एकात्म है, और उसकी धार्मिकता और आस्था उसे हमेशा सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है।
राजा के चरित्र में उसकी आत्मा की पवित्रता और समाज के प्रति जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है। उसने अपने व्यक्तिगत लाभ और अहंकार को हमेशा त्यागा और समाज के लिए सर्वोत्तम निर्णय लिए। उसके आदर्श और निष्ठा ने उसे एक महान नेता और प्रेरणा का रूप दिया। राजा का जीवन हमें यह सिखाता है कि धर्म और कर्तव्य की राह पर चलने के लिए किसी भी बलिदान से पीछे नहीं हटना चाहिए, और हमें समाज के भले के लिए खुद को समर्पित करना चाहिए। उसकी नीति, नायकत्व, और नेतृत्व ने उसे एक आदर्श पात्र के रूप में स्थापित किया, जो आज भी हमारे समाज में प्रेरणा का स्रोत है।