सत्य की जीत खण्डकाव्य के प्रमुख पुरुष पात्र के चरित्र की विशेषताएँ बताइए।
'सत्य की जीत' खण्डकाव्य में सत्य और असत्य के बीच संघर्ष को प्रमुख रूप से दर्शाया गया है। इसके प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं:
कथानक की शुरुआत: खण्डकाव्य की शुरुआत असत्य के विजय की स्थिति से होती है, जहां समाज में भ्रष्टाचार और अन्याय का बोलबाला है
सत्य के पक्षधर का उदय: इस काव्य में एक नायक का उदय होता है जो सत्य और न्याय के पक्ष में खड़ा होता है। वह समाज में व्याप्त कुरीतियों और अन्याय के खिलाफ संघर्ष शुरू करता है।
सत्य की परिभाषा: नायक सत्य के सिद्धांतों को लोगों के बीच फैलाता है, और उन्हें यह समझाता है कि केवल सत्य के मार्ग पर चलकर ही समाज में वास्तविक सुधार हो सकता है।
युद्ध और संघर्ष: नायक को असत्य के पक्षधर शक्तियों से संघर्ष करना पड़ता है। कई बार उसे कठिनाइयों और प्रतिरोधों का सामना करना पड़ता है, लेकिन वह अपने सत्य के सिद्धांतों पर अडिग रहता है।
सत्य की अंतिम विजय: अंत में, नायक की सत्य के प्रति निष्ठा और संघर्ष की वजह से सत्य की विजय होती है। असत्य का पराजय और सत्य का प्रतिष्ठान होता है।
'सत्य की जीत' खण्डकाव्य यह सिद्ध करता है कि अंततः सत्य की ही विजय होती है, और समाज में सच्चाई का पालन करने वालों की शक्ति और संघर्ष से असत्य का नाश होता है।
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