'सत्य की जीत' खण्डकाव्य में प्रमुख पात्र सत्य और धर्म के प्रतीक होते हैं, जो अपने आदर्शों के प्रति पूरी तरह निष्ठावान रहते हैं। इस काव्य में सत्य के प्रतीक के रूप में भगवान श्रीराम का चरित्र चित्रित किया गया है। उनके जीवन और संघर्षों के माध्यम से सत्य की महत्ता और विजय का संदेश दिया गया है।
श्रीराम के प्रमुख चरित्र गुण निम्नलिखित हैं:
सच्चाई और नैतिकता: श्रीराम का जीवन सत्य और नैतिकता का आदर्श है। वह हमेशा सत्य के मार्ग पर चलते हैं, चाहे वे व्यक्तिगत संकटों का सामना कर रहे हों या समाज के लिए किसी निर्णय को लागू करना हो।
कर्तव्यनिष्ठा: श्रीराम का जीवन कर्तव्य के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है। वह अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि मानते हैं और उन्हें निभाने के लिए हर परिस्थिति में खुद को समर्पित कर देते हैं।
धैर्य और संयम: श्रीराम का जीवन धैर्य और संयम का प्रतीक है। उन्होंने रावण जैसे शक्तिशाली शत्रु से संघर्ष करते हुए भी कभी अपने संयम को खोया नहीं।
त्याग और बलिदान: श्रीराम ने अपने व्यक्तिगत सुख और इच्छाओं को त्याग कर हमेशा अपने आदर्शों और धर्म को सर्वोपरि रखा। उनका जीवन हमेशा दूसरों के भले के लिए बलिदान देने का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
वीरता और साहस: श्रीराम ने राक्षसों से युद्ध किया और रावण जैसे शक्तिशाली शत्रु का वध किया, जो उनके अद्वितीय साहस और वीरता को दर्शाता है।
श्रीराम का जीवन एक आदर्श है, जो हमें सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। उनका चरित्र हमें यह सिखाता है कि सत्य, धर्म, और कर्तव्य के मार्ग पर चलकर किसी भी संकट को पार किया जा सकता है।