'रश्मिरथी' खण्डकाव्य में कर्ण का चित्रण एक महान नायक के रूप में किया गया है, जिनकी चारित्रिक विशेषताएँ जीवन में साहस, त्याग, और नैतिकता को दर्शाती हैं। कर्ण के चरित्र में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ हैं:
निष्ठा और कर्तव्यपरायणता: कर्ण हमेशा अपने वचन और कर्तव्य के प्रति निष्ठावान रहता है। उसने हमेशा अपनी प्रतिज्ञाओं और वचन को निभाने के लिए अपने व्यक्तिगत दुखों और समस्याओं की उपेक्षा की। उसकी निष्ठा उसे एक आदर्श पात्र बनाती है।
दया और उदारता: कर्ण की सबसे प्रमुख विशेषता उसकी दया और उदारता है। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता है, और अपने शत्रु के साथ भी दयालुता से पेश आता है। यह उसकी महानता को और बढ़ाता है।
साहस और शौर्य: कर्ण ने हर युद्ध में अद्वितीय साहस और वीरता का परिचय दिया। उसका शौर्य केवल उसकी युद्धकला में नहीं, बल्कि अपने निःस्वार्थ संघर्षों में भी झलकता है।
त्याग और बलिदान: कर्ण का जीवन त्याग और बलिदान का प्रतीक है। उसने हमेशा दूसरों के हितों के लिए अपने व्यक्तिगत लाभ और सुख का बलिदान दिया। उसकी यह भावना उसे एक महान नायक के रूप में प्रस्तुत करती है।
सच्चाई और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता: कर्ण का जीवन सच्चाई और न्याय की सख्त रक्षा करने का उदाहरण है। उसने अपने जीवन में कभी भी झूठ का सहारा नहीं लिया और हमेशा अपनी सिद्धांतों पर अडिग रहा।
आत्मविश्वास और साहसिक निर्णय: कर्ण ने हर चुनौती का सामना किया और कभी भी हार मानने का नाम नहीं लिया। उसने अपने भाग्य से लड़ते हुए भी आत्मविश्वास और साहस से हर परिस्थिति का सामना किया।
कर्ण का जीवन यह सिद्ध करता है कि एक व्यक्ति अपने जन्म और परिस्थितियों से ऊपर उठकर अपनी क्षमता और आस्थाओं के बल पर महानता प्राप्त कर सकता है। उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति और नैतिक बलिदान उसे भारतीय महाकाव्य के एक अद्वितीय नायक के रूप में प्रतिष्ठित करती है।