Question:

'सत्य की जीत' खण्डकाव्य के आधार पर 'दुर्योधन' का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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दुर्योधन का चरित्र हमें यह सिखाता है कि अहंकार और अधर्म का अंत निश्चित होता है।
Updated On: Nov 7, 2025
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Solution and Explanation

'सत्य की जीत' खण्डकाव्य में दुर्योधन का चरित्र एक अत्यंत जिद्दी और अहंकारी नायक के रूप में चित्रित किया गया है। वह सत्य और धर्म से दूर रहता है और केवल अपनी शक्ति और स्वार्थ के लिए संघर्ष करता है। दुर्योधन का चरित्र अधर्म और अहंकार का प्रतीक है। वह पांडवों के खिलाफ साजिशों में उलझा रहता है और युद्ध में सत्य के विपरीत अपने मार्ग पर चलता है, जिससे उसका पराभव होता है। 
 

  • अहंकार और जिद: दुर्योधन का चरित्र उसकी शक्ति और स्वार्थ के प्रति अत्यधिक लगाव को दर्शाता है। 
  • अधर्म का पालन: वह हमेशा अधर्म के रास्ते पर चलता है, जो अंततः उसे पराजित कर देता है। 
  • सत्य और धर्म का विरोध: दुर्योधन का जीवन सत्य और धर्म के विपरीत रहता है, जिससे उसकी हार होती है। 
     

दुर्योधन का चरित्र 'सत्य की जीत' खण्डकाव्य में अहंकार और अधर्म के विनाश का प्रतीक है। 
 

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