Question:

'रश्मिरथी' खण्डकाव्य के 'पंचम सर्ग' की घटना का उल्लेख कीजिए। 
 

Show Hint

पंचम सर्ग में कर्ण और श्रीकृष्ण के संवाद के माध्यम से निष्ठा, कर्तव्य और धर्म के प्रति अडिग विश्वास की अभिव्यक्ति होती है।
Updated On: Nov 14, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

'रश्मिरथी' के पंचम सर्ग में कर्ण और श्रीकृष्ण के बीच संवाद का मार्मिक चित्रण किया गया है। इस सर्ग में महाभारत युद्ध की पृष्ठभूमि में श्रीकृष्ण कर्ण को पांडव पक्ष में आने का आग्रह करते हैं और उसे उसकी वास्तविक पहचान बताकर उसे कौरवों का साथ छोड़ने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करते हैं।
कृष्ण द्वारा कर्ण को पहचान का रहस्य बताना: श्रीकृष्ण कर्ण को बताते हैं कि वह कुंती का पुत्र और पांडवों का ज्येष्ठ भ्राता है, अतः उसका स्थान पांडवों के साथ होना चाहिए।
कर्ण का अस्वीकार और दानवीरता: कर्ण अपनी मित्रता और वचनबद्धता के कारण दुर्योधन का साथ छोड़ने से इनकार कर देता है। वह स्वयं को कौरवों का ऋणी मानता है और किसी भी परिस्थिति में अपना वचन नहीं तोड़ता।
कर्ण की महानता और निष्ठा: कर्ण श्रीकृष्ण के प्रस्ताव को ठुकराते हुए अपने धर्म को मित्रता और कर्तव्य के रूप में स्वीकार करता है। यह सर्ग कर्ण की दानवीरता, त्याग और आत्मसम्मान को दर्शाता है।
कृष्ण द्वारा कर्ण को आशीर्वाद: कर्ण के अडिग निश्चय को देखकर श्रीकृष्ण उसकी निष्ठा और बलिदान की सराहना करते हैं और उसे एक महान योद्धा के रूप में स्वीकार करते हैं।
पंचम सर्ग कर्ण के चरित्र की महानता को उजागर करता है और यह दिखाता है कि कर्ण परिस्थितियों के बावजूद अपने सिद्धांतों से कभी विचलित नहीं होता। यह सर्ग मित्रता, कर्तव्य और बलिदान की भावना का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
Was this answer helpful?
0
0