Question:

'रश्मिरथी' खण्डकाव्य के किसी एक सर्ग की घटना संक्षेप में लिखिए।

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'रश्मिरथी' का चौथा सर्ग कर्ण के चरित्र को और अधिक गहराई से समझने में सहायक है।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

'रश्मिरथी' खण्डकाव्य का चौथा सर्ग कर्ण और श्रीकृष्ण के संवाद पर आधारित है। इसमें श्रीकृष्ण कर्ण को उसकी जन्म-सत्यता बताते हैं और उसे पांडवों का साथ देने के लिए प्रेरित करते हैं।
कर्ण का जन्म रहस्य: श्रीकृष्ण कर्ण को बताते हैं कि वह कुंती पुत्र है और उसे दुर्योधन का साथ छोड़कर पांडवों का समर्थन करना चाहिए।
कर्ण का धर्म-संकट: कर्ण अपने जीवनभर की निष्ठा और दुर्योधन के साथ निभाए गए संबंधों को देखते हुए धर्म-संकट में पड़ जाता है।
त्याग और आत्मसम्मान: अंततः कर्ण श्रीकृष्ण की बात स्वीकार नहीं करता और अपने आत्मसम्मान एवं दुर्योधन से निभाई गई मित्रता के कारण युद्ध में कौरव पक्ष में ही रहने का निर्णय लेता है।
यह सर्ग कर्ण के त्याग, आत्मसम्मान और श्रीकृष्ण की नीति-चातुर्य का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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