Question:

प्रयोगवादी काव्य की विशेषता है 
 

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हिन्दी कविता के विभिन्न वादों (छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता) की प्रमुख विशेषताओं को तुलनात्मक रूप से याद करें। इससे आपको अंतर समझने में आसानी होगी।
Updated On: Nov 11, 2025
  • चित्रमयी कल्पना की प्रधानता
  • रूढ़ियों के प्रति विद्रोह
  • प्राकृतिक वर्णन
  • आश्रयदाताओं की प्रशंसा
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collegedunia
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The Correct Option is B

Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Question
प्रश्न में प्रयोगवादी काव्य की प्रमुख विशेषता पूछी गई है।
Step 2: Detailed Explanation
प्रयोगवादी काव्य का आरम्भ सन् 1943 में अज्ञेय द्वारा संपादित 'तार सप्तक' से माना जाता है। इस काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ थीं:
रूढ़ियों के प्रति विद्रोह: प्रयोगवादी कवियों ने काव्य की पुरानी परम्पराओं, मान्यताओं और रूढ़ियों का विरोध किया और नए भावों, नए शिल्पों और नए उपमानों का प्रयोग किया।
अतिशय बौद्धिकता: इसमें भावुकता के स्थान पर बौद्धिकता की प्रधानता है।
अहं की प्रधानता: इसमें व्यक्तिगत अनुभूतियों और अहं को महत्व दिया गया।
नग्न यथार्थवाद: जीवन की कुंठाओं, निराशाओं और वर्जनाओं का खुला चित्रण किया गया।
नए उपमानों का प्रयोग: पुराने उपमानों को 'बासी' कहकर नए और अनगढ़ उपमानों का प्रयोग किया गया।
दिए गए विकल्पों में से 'रूढ़ियों के प्रति विद्रोह' प्रयोगवाद की एक मुख्य विशेषता है। 'आश्रयदाताओं की प्रशंसा' रीतिकाल की, 'प्राकृतिक वर्णन' और 'चित्रमयी कल्पना' छायावाद की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
Step 3: Final Answer
अतः, सही उत्तर (B) रूढ़ियों के प्रति विद्रोह है।
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