Question:

‘प्रेमचंद’ के व्यक्तित्व की सामंती प्रवृत्तियों को सटीक उदाहरण सामने रखिए। 
 

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महान साहित्यकारों का मूल्यांकन करते समय उनके व्यक्तित्व के विरोधाभासों को समझना ज़रूरी होता है — जिससे वे और अधिक मानवीय और यथार्थ प्रतीत होते हैं।
Updated On: Jul 23, 2025
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Solution and Explanation

प्रेमचंद भारतीय साहित्य के युगांतरकारी लेखक माने जाते हैं, लेकिन उनकी जीवन कथा में भी कुछ ऐसे तत्व मिलते हैं जो उनके व्यक्तित्व में सामंती प्रवृत्तियों की उपस्थिति को दर्शाते हैं।
एक ओर वे किसानों, दलितों, श्रमिकों और स्त्रियों के अधिकारों की बात करते हैं, लेकिन दूसरी ओर उनके अपने जीवन में स्त्री के प्रति कुछ व्यवहार सामंती सोच से प्रेरित प्रतीत होते हैं। जैसे — उन्होंने अपने जीवन की पहली पत्नी को छोड़ दिया था और बाद में दूसरी शादी की।
वह अपने बेटों की शिक्षा और विवाह को लेकर भी रूढ़ मान्यताओं से प्रभावित दिखते हैं। उनका व्यवहार अनुशासनात्मक था — वे घर में पिता की सत्ता को प्राथमिकता देते थे। वे परंपराओं का सम्मान करते हुए कई बार स्त्री को गृहस्थ जीवन में सीमित मानते थे।
इन पहलुओं से यह स्पष्ट होता है कि प्रेमचंद भले ही अपने साहित्य में प्रगतिशील दृष्टिकोण रखते हों, लेकिन उनके आंतरिक जीवन में कहीं न कहीं सामंती सोच के अवशेष विद्यमान थे।
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