निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपर्वू र्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
गद्यांश : पिता हमेशा रूक्ष नहीं होता, सदैव कठोर व्यवहार से घर को संचालित नहीं करता क्योंकि वह भीतर से सौम्य प्रकृति का होता है । पिता का प्रेम दिखाई नहीं देता, उसे महससू किया जा सकता है । बाहर से कठोर दिखाई देने वाला पिता भावनाओं में अत्यंत भावुक होता है । जिस घर मेंपिता बच्चों के साथ बातचीत करता है, हँसता–बोलता है, उनके सभी क्रियाकलापों में सहयोग करता है, उसी घर में बच्चों का मानसिक और नैतिक विकास उचित रूप से हो पाता है । अच्छी और संस्कृत संतति वह माता–पिता की सम्मिलित भमिू का सेमिलती है । बच्चों के पालन–पोषण में दोनों समान भमिू का निभाते हैं। आज का समय कुछ दृष्टि से सकारात्मक है, जहाँ माता–पिता दोनों कामकाजी हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी में घर के साथ दफ्तर भी सँभालना होता है । ऐसे में के वल माँ को भरोसे पर और बच्चों को छोड़ना नहीं सही है । दोनों के सहयोग से ही घर को सँभाल पाना संभव होता है । पिता का दायित्व आज दफ्तर की सीमा सेनिकलकर घर तक आ गया है । बच्चों को सुबह उठाकर स्कूल भेजने से लेकर होमवर्क कराने तक सभी कार्यों में उसकी भागीदारी आज अपे र्यो क्षित है । आज नई पीढ़ी के युवा घर में इन जिम्मेदारियों को बड़ी गंभीरता सेनिभाते देखे जा सकते हैं। वर्तमान समय में पढ़े–लिखे कामकाजी–एकल परिवार में व्यक्ति का जीवन दबाव में ही दिखता है, चाहे वह पढ़ाई का हो, करियर का हो अथवा कार्यक्षेत्र में हो । परिवार का खुशनुमा और परस्पर सहयोगपर्णू र्णवातावरण उस दबाव से बाहर निकलने में सहायक बनता है ।
माता–पिता पर अपनी संतान को लेकर कौन–कौन से दबाव हैं? इन दबावों से आप अपने माता–पिता को मुश्किल कैसे दिला सकते हैं? % Answer
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
नाम बड़ा है या रूप? पद पहले है या पदार्थ?
पदार्थ सामने है, पद नहीं सूझ रहा है।
मन व्याकुल हो गया।
स्मृतियों के पंख फैलाकर सुदूर अतीत के कोनों में झाँकता रहा।
सोचता हूँ इसमें व्याकुल होने की क्या बात है?
नाम में क्या रखा है – 'बाह्यद देस्सर इन द नेम'!
नाम की ज़रूरत ही हो तो सौ दिए जा सकते हैं।
सुस्मिता, गिरिकांता धरतीधकेल, पहाड़फोड़, पातालभेद!
पर मन नहीं मानता।
नाम इसलिए बड़ा नहीं है कि वह नाम है।
वह इसलिए बड़ा होता है कि उसे सामाजिक स्वीकृति मिली होती है।
रूप व्यक्ति सत्य है, नाम समाज सत्य।
नाम उस पद को कहते हैं जिस पर समाज की मुहर लगी होती है।
आधुनिक शिक्षित लोग जिसे ‘सोशल सेन्शन’ कहते हैं।
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए : बड़ी बहुरिया के संवाद का प्रत्येक शब्द उसके मन में काँटे की तरह चुभ रहा है --
'किसके भरोसे यहाँ हूँगी? एक नौकर था, वह भी कल भाग गया।
गाय खूंटे से बंधी भूखी-प्यासी हिनक रही है।
मैं किसके लिए इतना दुख झेलूँ?' हरगोबिन ने अपने पास बैठे हुए एक यात्री से पूछा,
‘क्यों भाई साहेब, थाना विंधपुर में डाकगाड़ी रुकती है या नहीं?’ यात्री ने मानो कुकुरकर कहा, “थाना विंधपुर में सभी गाड़ियाँ रुकती हैं।” हरगोबिन ने भाँप लिया, यह आदमी चिड़चिड़े स्वभाव का है, इससे कोई बातचीत नहीं जमेगी।
वह फिर बड़ी बहुरिया के संवाद को मन-ही-मन दोहराने लगा लेकिन, संवाद सुनाते समय वह अपने क्लेशों को कैसे संभाल सकेगा!
बड़ी बहुरिया संवाद कहते समय जहाँ-जहाँ रोई है, वहाँ वह रोयेगा।
निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर दिए गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कर लिखिए :
एक मिल मालिक के दिमाग में अजीब-अजीब ख़याल आया करते थे जैसे सारा संसार मिल हो जाएगा,
सारे लोग मज़दूर और वह उनका मालिक या मिल में और चीज़ों की तरह आदमी भी बनने लगेंगे,
तब मज़दूरी भी नहीं देनी पड़ेगी, बोरों-बोरों।
एक दिन उसके दिमाग में ख़याल आया कि अगर मज़दूरी के चार हाथ हो तो काम कितना तेज़ हो
और मुनाफ़ा कितना ज़्यादा। लेकिन यह काम करेगा कौन?
उसने सोचा, वैज्ञानिक करेंगे, ये किस मर्ज़ की दवा?
उसने यह काम करने के लिए बड़े वैज्ञानिकों को मोटी तनख्वाह पर नौकर रखा और वे नौकर भी बने।
कई साल तक शोध और प्रयोग करने के बाद वैज्ञानिकों ने कहा कि ऐसा असंभव है कि आदमी के चार हाथ हो जाएँ।
मिल मालिक वैज्ञानिकों से नाराज़ हो गया।
उसने उन्हें नौकरी से निकाल दिया और अपने-आप इस काम को पूरा करने के लिए जुट गया।
निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए :
बिधि न सकेउ सहि मोर दुलारा। नीच बीचु जननी मिस पारा॥
यहउ कहत मोहि आजु न सोभा। अपनी समुझि साधु सुछि को भा॥
मातु मंदि मैं साधु सुचाली। उर अस आनत कोटि कुचाली॥
फरइ कि कोदव बालि सुसाली। मुकता प्रसव कि संबुक काली॥
सपनेहुँ दोसक लेसु न काहू। मोर अभागा उद्दीध अवगाहू॥
बिनु समुझें निज अघ परिपाकू। जारिउँ जायतें जतनि कहि काकू॥
हृदयँ हेरि हरोउँ सब ओरा। एकहि भाँति भलोँह भल मोरा॥
गुरु गोसाईं साहिब सिय रामू। लागत मोहि नेक परिणामू॥
“स्थिति तथा परिवेश की माँग के अनुसार क्लिष्ट भाषा में भी लिखे गए संवाद दर्शकों तक आसानी से संप्रेषित हो जाते हैं।” उदाहरण सहित इसकी पुष्टि कीजिए।
आप अदिति / आदित्य हैं। आपकी दादीजी को खेलों में अत्यधिक रुचि है। ओलंपिक खेल-2024 में भारत के प्रदर्शन के बारे में जानकारी देते हुए लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।
मुझसे हँसा नहीं जाता । (वाच्य पहचानकर भेद का नाम लिखिए)