जीमूतवाहन का चरित्र-चित्रण:
'कारुणिको जीमूतवाहनः' नामक कथा के आधार पर जीमूतवाहन के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
महान परोपकारी एवं दयालु: जीमूतवाहन अत्यन्त दयालु और परोपकारी राजकुमार था। उसने अपने पूर्वजों द्वारा लगाए गए कल्पवृक्ष से अपने लिए कुछ न माँगकर प्रजा के दुःख को दूर करने का वरदान माँगा। इससे उसकी परोपकार की भावना प्रकट होती है।
त्याग की प्रतिमूर्ति: जीमूतवाहन में त्याग की अद्भुत भावना थी। उसने नागों की रक्षा के लिए गरुड़ के समक्ष स्वयं को भोजन के रूप में प्रस्तुत कर दिया। दूसरों के प्राणों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने के लिए तत्पर रहना उसके महान त्याग का परिचायक है।
कर्तव्यनिष्ठ शासक: यद्यपि वह राजा नहीं था, तथापि एक राजकुमार के रूप में उसने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि माना। प्रजा को सुखी देखना और उनकी रक्षा करना वह अपना परम कर्तव्य समझता था।
निडर और साहसी: जीमूतवाहन अत्यंत निडर और साहसी था। वह शक्तिशाली गरुड़ के सामने बिना किसी भय के प्रस्तुत हो गया। मृत्यु का भय भी उसे अपने कर्तव्य पथ से डिगा नहीं सका।
जीव मात्र के प्रति प्रेम: उसके हृदय में केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं, अपितु पशु-पक्षियों और नागों जैसे सभी जीवों के प्रति प्रेम और करुणा की भावना थी।
निष्कर्षतः, जीमूतवाहन एक आदर्श, त्यागी, परोपकारी, दयालु और वीर नायक है, जिसका चरित्र अनुकरणीय है।