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पात्र का चरित्र-चित्रण हिन्दी में लिखिए : 'भोजस्य शल्यचिकित्सा' पाठ के आधार पर भोज का ।

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राजा भोज का चरित्र-चित्रण करते समय उनके 'प्रजावत्सल' और 'कर्तव्यनिष्ठ' गुणों पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि यही उनके चरित्र के मूल आधार हैं।
Updated On: Nov 17, 2025
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Solution and Explanation

राजा भोज का चरित्र-चित्रण:
'भोजस्य शल्यचिकित्सा' पाठ में राजा भोज एक आदर्श और प्रजावत्सल शासक के रूप में चित्रित हैं। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
प्रजावत्सल: राजा भोज अपनी प्रजा से अत्यधिक स्नेह करते थे। उनकी सबसे बड़ी चिन्ता अपनी प्रजा का कल्याण करना था। वे किसी भी निर्णय को लेने से पहले प्रजा पर उसके प्रभाव के बारे में सोचते थे।
कर्तव्यनिष्ठ: वे अपने राजधर्म को सर्वोपरि मानते थे। जब उनके सिर में असहनीय पीड़ा होती है, तब भी वे अपने कष्ट से अधिक इस बात से चिन्तित होते हैं कि उनकी अनुपस्थिति में प्रजा का कार्य कैसे होगा।
साहसी और वीर: वे एक साहसी राजा हैं। जब वैद्य बताते हैं कि उनके सिर की शल्य-चिकित्सा (ऑपरेशन) करनी होगी, तो वे इस जोखिम भरी प्रक्रिया के लिए बिना किसी भय के तैयार हो जाते हैं।
गुणग्राही: वे विद्वानों और गुणीजनों का आदर करते थे। उन्होंने अश्विनीकुमारों के समान कुशल वैद्यों को अपने राज्य में सम्मानपूर्वक रखा था।
संक्षेप में, राजा भोज एक ऐसे आदर्श राजा हैं जो प्रजा के सुख के लिए अपने प्राणों का संकट भी झेलने को तत्पर रहते हैं।
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