Question:

निम्नलिखित संस्कृत पद्यांशों में से किसी एक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए : ज्ञाने मौनं क्षमा शक्तौ त्यागे श्लाघाविपर्ययः । गुणागुणानुबन्धित्वात् तस्य सप्रसवा इव । 
 

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यह श्लोक गुणों के परस्पर संबंध की महिमा का उल्लेख करता है, और हमें यह सिखाता है कि गुणों का एकत्रित प्रभाव ही व्यक्ति के जीवन को पूर्ण और संतुलित बनाता है।
Updated On: Nov 14, 2025
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Solution and Explanation

यह श्लोक गुणों के परस्पर संबंध और उनकी महानता पर आधारित है। श्लोक का अर्थ है:
"ज्ञान, मौन, क्षमा, शक्ति, त्याग और श्लाघा ये सभी गुण आपस में जुड़े हुए हैं। इन गुणों का एकत्र होना तभी संभव है, जब ये एक-दूसरे के साथ सामंजस्यपूर्ण तरीके से जुड़े हों। जैसे कि माता के गर्भ में बच्चा अपने गुणों को एकत्र करता है, वैसे ही ये गुण एक साथ जुड़कर अपना पूरा प्रभाव दिखाते हैं।"
यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि जीवन में विभिन्न गुणों का संतुलित रूप से पालन करना आवश्यक है, जिससे व्यक्ति की शुद्धता और संतुलन में वृद्धि होती है।
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