Question:

निम्नलिखित संस्कृत गद्यांश में से किसी एक का सन्दर्भ-सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए : वाराणस्यां प्राचीनकालादेव गेहे गेहे विद्यायाः दिव्यं ज्योतिः द्योतते । अधुनाऽपि अत्र संस्कृतवाग्धारा सततं प्रवहति, जनानां ज्ञानश्च वर्द्धयति । अत्र अनेके आचार्याः मूर्धन्याः विद्वांसः वैदिकवाङ्मयस्य अध्ययने अध्यापने च इदानीं निरताः । न केवलं भारतीयाः अपितु वैदेशिकाः गीर्णाणवाण्या अध्ययनाय अत्र आगच्छन्ति, निःशुल्कं च विद्यां गृह्णन्ति । अत्र हिन्दूविश्वविद्यालयः, संस्कृत विश्वविद्यालयः, काशी विद्यापीठं इत्येते त्रयः विश्वविद्यालयाः सन्ति, येषु नवीनानां प्राचीनानाञ्च ज्ञानविज्ञानविषयाणाम् अध्ययनं प्रचलितः । 
 

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संस्कृत से हिन्दी में अनुवाद करते समय, शब्दों के सही अर्थ के साथ-साथ वाक्य के भाव को समझना भी आवश्यक है। वाक्य को छोटे-छोटे भागों में तोड़कर अनुवाद करने से आसानी होती है।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

सन्दर्भ:
प्रस्तुत संस्कृत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'हिन्दी' के 'संस्कृत-परिचयिका' खण्ड के 'वाराणसी' नामक पाठ से उद्धृत है। इस अंश में वाराणसी की प्राचीन ज्ञान-परम्परा और शैक्षिक महत्त्व का वर्णन किया गया है।
हिन्दी में अनुवाद:
वाराणसी में प्राचीन काल से ही घर-घर में विद्या का अलौकिक प्रकाश चमकता रहा है। आज भी यहाँ संस्कृत वाणी की धारा निरन्तर बहती रहती है और लोगों का ज्ञान बढ़ाती है। यहाँ अनेक आचार्य, मूर्धन्य (उच्च कोटि के) विद्वान् वैदिक साहित्य के अध्ययन और अध्यापन में इस समय लगे हुए हैं। केवल भारतीय ही नहीं, अपितु विदेशी भी देववाणी (संस्कृत) के अध्ययन के लिए यहाँ आते हैं और निःशुल्क विद्या ग्रहण करते हैं। यहाँ हिन्दू विश्वविद्यालय, संस्कृत विश्वविद्यालय और काशी विद्यापीठ, ये तीन विश्वविद्यालय हैं, जिनमें नवीन और प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के विषयों का अध्ययन चलता रहता है।
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