Question:

कालिदासकाव्येषु अङ्गीरसः शृङ्गारोऽस्ति । तस्य पुष्ट्यर्थं करुणादयोऽन्ये रसाः अङ्गभूताः । रसानुरूपं क्वचित् प्रसादः क्वचिच्च माधुर्यं तस्य काव्योत्कर्षे साहाय्यं कुरुतः । वैदर्भी रीतिः कालिदासस्य वाग्वश्येव सर्वत्रानुवर्तते । अलङ्कार योजनायां कालिदासोऽद्वितीयः । यद्यपि उपमा कालिदासस्येत्युक्तिः उपमायोजनायामेव कालिदासस्य वैशिष्ट्यमाख्याति तथापि उत्प्रेक्षार्थान्तरन्यासादीनामलङ्काराणां विनियोगः तेनातीव सहजतया कृतः ।

Show Hint

संस्कृत से हिन्दी में अनुवाद करते समय वाक्य को छोटे-छोटे भागों में तोड़कर अर्थ समझें। जैसे, "कालिदासकाव्येषु अङ्गीरसः शृङ्गारोऽस्ति" का अर्थ है - कालिदास के काव्यों में अंगी (मुख्य) रस शृंगार है। कठिन शब्दों का अर्थ जानने से अनुवाद सरल हो जाता है।
Updated On: Nov 17, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

हिन्दी में अनुवाद:
कालिदास के काव्यों में मुख्य रस शृंगार है। उसकी पुष्टि के लिए करुण आदि दूसरे रस सहायक रूप में हैं। रस के अनुरूप कहीं प्रसाद गुण और कहीं माधुर्य गुण उनके काव्य के उत्कर्ष में सहायता करते हैं। वैदर्भी रीति कालिदास की वाणी के वश में होकर ही सब जगह अनुसरण करती है। अलंकार-योजना में कालिदास अद्वितीय हैं। यद्यपि 'उपमा कालिदासस्य' (उपमा के लिए कालिदास प्रसिद्ध हैं) यह उक्ति उपमा-योजना में ही कालिदास की विशेषता बताती है, तथापि उन्होंने उत्प्रेक्षा, अर्थान्तरन्यास आदि अलंकारों का प्रयोग भी अत्यन्त सहजता से किया है।
Was this answer helpful?
0
0

Top Questions on संस्कृत गद्यांश

View More Questions