Question:

निम्नलिखित संस्कृत गद्यांश का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए : संस्कृत साहित्यस्य आदिकविः वाल्मिकीः, महर्षि व्यासः, कविकुलगुरुः कालिदासः अन्ये च भास भारवि भवभूत्यादयो महाकवयः स्वकीयैः ग्रन्थरत्नैः अद्यापि पाठकानां हृदि विराजन्ते । इयं भाषा अस्माभिः मातृसमं सम्माननीया, वन्दनीया च यतो भारतमातुः स्वातन्त्र्य गौरवम् अखण्डत्वं सांस्कृतिकमेकत्वञ्च संस्कृतेनैव सुरक्षितुं शक्यन्ते । इयं संस्कृतभाषा सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा श्रेष्ठा चास्ति । ततः सुष्टुक्तम् भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती इति ।

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संस्कृत भाषा केवल प्राचीन ग्रंथों की भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और ज्ञान का आधार है। हमें इसे संरक्षित और प्रचारित करना चाहिए।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

सन्दर्भ: उपर्युक्त गद्यांश में संस्कृत भाषा और साहित्य की महानता का उल्लेख किया गया है। इसमें संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध कवियों और इसके सांस्कृतिक महत्व को दर्शाया गया है।
हिन्दी अनुवाद: संस्कृत साहित्य के आदिकवि महर्षि वाल्मीकि, महर्षि व्यास, कविकुलगुरु कालिदास तथा अन्य महान कवि जैसे भास, भारवि और भवभूति अपनी रचनाओं के माध्यम से आज भी पाठकों के हृदय में विराजमान हैं। यह भाषा हमारी मातृभाषा के समान सम्माननीय और वंदनीय है क्योंकि भारत माता की स्वतंत्रता, गौरव, अखंडता और सांस्कृतिक एकता को केवल संस्कृत भाषा के माध्यम से ही सुरक्षित रखा जा सकता है।
संस्कृत भाषा सभी भाषाओं में प्राचीनतम और श्रेष्ठतम है। इसलिए उचित ही कहा गया है— "भाषाओं में श्रेष्ठ, मधुर और दिव्य भाषा गीर्वाणभारती (संस्कृत) ही है।"
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