'त्यागपथी' खण्डकाव्य में एक प्रेरणास्पद घटना तब घटित होती है जब नायक अपने कर्तव्य और समाज के भले के लिए व्यक्तिगत सुखों और सुविधाओं का त्याग करता है। एक विशेष घटना में, नायक अपनी व्यक्तिगत खुशी को छोड़कर समाज की सेवा में अपनी पूरी शक्ति और समय समर्पित कर देता है। उसे यह ज्ञात होता है कि समाज में वास्तविक सुधार तभी संभव है जब लोग अपने स्वार्थों को त्याग कर उच्च उद्देश्य के लिए काम करें। इस घटना में नायक का बलिदान और उसकी निष्ठा उसे समाज में एक आदर्श व्यक्ति बना देती है। नायक न केवल अपने स्वार्थों और इच्छाओं का त्याग करता है, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए कठिन परिस्थितियों का सामना भी करता है। वह संघर्षों और कठिनाइयों से घिरा रहता है, लेकिन फिर भी अपने उद्देश्य से कभी भटकता नहीं है।
यह घटना यह सिखाती है कि कभी-कभी समाज के लिए व्यक्तिगत इच्छाओं का त्याग करना ही सच्चे त्याग का रूप है और यह समाज में स्थायी परिवर्तन ला सकता है। नायक का यह उदाहरण हमें यह भी बताता है कि व्यक्ति अपने कर्तव्यों से कभी पीछे नहीं हट सकता, चाहे परिस्थितियाँ जैसी भी हों। उसका यह बलिदान और निष्ठा समाज के अन्य व्यक्तियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाती है और यह साबित करता है कि सच्ची महानता त्याग और निःस्वार्थ सेवा में छुपी होती है।