Comprehension

निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 
हिन्दी में प्रगतिशील साहित्य का निर्माण हो रहा है । उसके निर्माता यह समझ रहे हैं कि उनके साहित्य में भविष्य का गौरव निहित है । पर कुछ ही समय के बाद उनका यह साहित्य भी अतीत का स्मारक बन जाएगा और आज जो तरुण है, वही वृद्ध होकर अतीत के गौरव का स्वप्न देखेंगे । उनके स्थान में तरुणों का फिर दूसरा दल आ जाएगा जो भविष्य का स्वप्न देखेगा । दोनों के ही स्वप्न सुखद होते हैं, क्योंकि दूर के ढोल सुहावने होते हैं । 
 

Question: 1

उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए ।

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संदर्भ लिखते समय, पाठ का नाम ('क्या लिखूँ?') और लेखक का नाम (पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी) स्पष्ट रूप से उल्लेख करना अनिवार्य है। यह उत्तर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस पर अलग से अंक निर्धारित होते हैं।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: संदर्भ लेखन
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी द्वारा लिखित ‘क्या लिखूँ?’ नामक निबन्ध से उद्धृत है।
इसमें लेखक ने साहित्य और जीवन के परिवर्तनशील स्वरूप पर प्रकाश डाला है और बताया है कि समय के साथ विचार और मान्यताएँ कैसे बदलती हैं।
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Question: 2

गद्यांश के रेखाङ्कित अंश की व्याख्या कीजिए ।

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व्याख्या करते समय, लेखक के मूल भाव को समझना और उसे अपने शब्दों में स्पष्ट करना चाहिए। यहाँ लेखक समय के चक्रीय प्रवाह और पीढ़ीगत बदलाव को दर्शाना चाहते हैं। 'दूर के ढोल सुहावने' मुहावरे का भी इसमें गहरा संबंध है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: व्याख्या
लेखक श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी कहते हैं कि समय परिवर्तनशील है और यह साहित्य पर भी लागू होता है।
रेखांकित अंश में लेखक यह कहना चाहते हैं कि आज जो युवा पीढ़ी उत्साह के साथ भविष्य के लिए प्रगतिशील साहित्य का निर्माण कर रही है, वही पीढ़ी समय के साथ वृद्ध हो जाएगी।
वृद्ध होने पर वे अपने युवावस्था में किए गए कार्यों को, यानी अतीत के गौरव को, याद करके उस पर गर्व करेंगे और उसके सपने देखेंगे।
तब तक एक नई युवा पीढ़ी उनका स्थान ले लेगी, जो अपने समय के अनुसार भविष्य के नए सपने देखेगी और नए साहित्य का सृजन करेगी। यह क्रम निरंतर चलता रहता है, क्योंकि हर पीढ़ी अपने भविष्य को लेकर उत्साहित रहती है।
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Question: 3

प्रस्तुत गद्यांश में 'प्रगतिशीलता' से क्या तात्पर्य है ?

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किसी विशेष शब्द का तात्पर्य समझाने के लिए, पूरे गद्यांश के केंद्रीय विचार को ध्यान में रखना चाहिए। 'प्रगतिशीलता' का अर्थ यहाँ केवल 'आगे बढ़ना' नहीं, बल्कि 'साहित्यिक और वैचारिक नवीनता' है जो भविष्योन्मुखी हो।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: अर्थ स्पष्टीकरण
प्रस्तुत गद्यांश में 'प्रगतिशीलता' से तात्पर्य है साहित्य में नवीन विचारों, भावनाओं और शैलियों का समावेश करना जो भविष्य की ओर देखता हो।
यह एक ऐसी साहित्यिक प्रवृत्ति है जो पुरानी रूढ़ियों और परम्पराओं को छोड़कर समाज और साहित्य को एक नई दिशा देने का प्रयास करती है।
प्रगतिशील साहित्यकार यह मानते हैं कि उनका साहित्य भविष्य के लिए एक मार्गदर्शक का काम करेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए गौरव का विषय बनेगा। हालांकि लेखक यह भी इंगित करते हैं कि यह प्रगतिशीलता भी समय के साथ अतीत बन जाती है।
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