Question:

निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न का उत्तर दीजिए : कुसंग का ज्वर सबसे भयानक होता है। यह केवल नीति और सवृत्ति का ही नाश नहीं करता, बल्कि बुद्धि का भी क्षय करता है। किसी युवा पुरुष की संगति यदि बुरी होगी, तो वह उसके पैरों में बँधी चक्की के समान होगी, जो उसे दिन-दिन अवनति के गड्ढे में गिराती जाएगी और यदि अच्छी होगी तो सहारा देने वाली बाहु के समान होगी, जो उसे निरंतर उन्नति की ओर ले जाएगी। गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। 
 

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व्याख्या करते समय, मूल भाव को अपने शब्दों में स्पष्ट करें। उपमाओं और रूपकों (जैसे 'ज्वर') का अर्थ समझाते हुए लिखें ताकि व्याख्या प्रभावशाली बने।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

चरण 1: रेखांकित अंश को समझना:
रेखांकित अंश "कुसंग का ज्वर सबसे भयानक होता है। यह केवल नीति और सवृत्ति का ही नाश नहीं करता, बल्कि बुद्धि का भी क्षय करता है।" की व्याख्या करनी है।
चरण 2: विस्तृत व्याख्या:
- व्याख्या: लेखक आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी कहते हैं कि मानव जीवन पर संगति का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। उन्होंने बुरी संगति को एक 'भयानक ज्वर' (बुखार) की उपमा दी है। जिस प्रकार भयानक ज्वर व्यक्ति के शरीर और स्वास्थ्य को नष्ट कर देता है, उसी प्रकार बुरी संगति व्यक्ति के नैतिक और बौद्धिक गुणों को नष्ट कर देती है।
- बुरी संगति के प्रभाव से व्यक्ति की 'नीति' (सही-गलत का निर्णय) और 'सद्वृत्ति' (अच्छा आचरण) समाप्त हो जाती है।
- इसका प्रभाव केवल आचरण तक ही सीमित नहीं रहता, यह व्यक्ति की 'बुद्धि का भी क्षय' करती है, अर्थात उसकी सोचने-समझने की शक्ति, विवेक और निर्णय क्षमता को भी क्षीण कर देती है। इसके कारण व्यक्ति सही और गलत में भेद नहीं कर पाता और पतन की ओर बढ़ता जाता है।
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