Comprehension

निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 
ईर्ष्या का सम्बन्ध प्रतिद्वंद्विता से होता है, क्योंकि भिखमंगा करोड़पति से ईर्ष्या नहीं करता । यह एक ऐसी बात है, जो ईर्ष्या के पक्ष में भी पड़ सकती है, क्योंकि प्रतिद्वंद्विता से भी मनुष्य का विकास होता है । किन्तु, अगर आप संसार व्यापी सुयश चाहते हैं तो आप रसेल के मतानुसार, शायद नेपोलियन से स्पर्द्धा करेंगे । मगर, याद रखिए कि नेपोलियन भी सीजर से स्पर्द्धा करता था और सीजर सिकन्दर से तथा सिकन्दर हरकूलस से, जिस हरकूलस के बारे में इतिहासकारों का यह मत है कि वह कभी पैदा ही नहीं हुआ । 
 

Question: 1

उपर्युक्त अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।

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संदर्भ लिखते समय पाठ का नाम और लेखक का नाम सही-सही लिखना बहुत महत्वपूर्ण है। इसे काले पेन से या रेखांकित करके प्रस्तुत करने से अच्छे अंक मिलते हैं।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा लिखित 'ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से' नामक निबंध से उद्धृत है।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

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व्याख्या करते समय, लेखक के दृष्टिकोण को समझना आवश्यक है। यहाँ लेखक ईर्ष्या के एक अप्रत्यक्ष लाभ, यानी प्रतिद्वंद्विता से होने वाले विकास, पर प्रकाश डाल रहे हैं।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

लेखक रामधारी सिंह 'दिनकर' जी कहते हैं कि यद्यपि ईर्ष्या एक नकारात्मक मनोभाव है, परन्तु इसका एक सकारात्मक पहलू भी हो सकता है। ईर्ष्या की भावना प्रतिद्वंद्विता को जन्म देती है, और जब व्यक्ति किसी से प्रतिद्वंद्विता या प्रतिस्पर्धा करता है तो वह उससे आगे निकलने का प्रयास करता है। इस प्रयास में वह और अधिक परिश्रम करता है, अपनी क्षमताओं को निखारता है और नई ऊँचाइयों को प्राप्त करने की कोशिश करता है। इस प्रकार, प्रतिद्वंद्विता की भावना व्यक्ति को उन्नति और विकास के मार्ग पर अग्रसर कर सकती है। अतः, लेखक का मानना है कि प्रतिद्वंद्विता से प्रेरित होकर मनुष्य अपना विकास कर सकता है, जो एक प्रकार से ईर्ष्या के पक्ष में जाने वाली बात है।
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Question: 3

लेखक के अनुसार प्रतिद्वंद्विता का सकारात्मक पक्ष क्या है ?

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इस प्रश्न का उत्तर सीधे-सीधे रेखांकित अंश में ही दिया गया है। गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ने से ऐसे प्रश्नों के उत्तर आसानी से मिल जाते हैं।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

लेखक के अनुसार प्रतिद्वंद्विता का सकारात्मक पक्ष यह है कि इससे मनुष्य का विकास होता है।
जब कोई व्यक्ति किसी से प्रतिद्वंद्विता करता है, तो वह अपने प्रतिद्वंद्वी से बेहतर बनने और उससे आगे निकलने का प्रयास करता है। इस होड़ में वह अपनी कमियों को दूर करता है, अपने गुणों को विकसित करता है, और अधिक परिश्रम करने के लिए प्रेरित होता है। यह प्रेरणा और प्रयास अंततः उसे प्रगति और विकास के पथ पर ले जाते हैं। इस प्रकार, प्रतिद्वंद्विता मनुष्य को और अधिक सक्षम और सफल बनने में सहायता करती है, जो इसका सकारात्मक पक्ष है।
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