Comprehension

निम्नलिखित पाठ्य काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए :
"मुझ भाग्यहीन की तू संबल
युग वर्ष बाद जब हुई विकल
दुख ही जीवन की कथा रही
क्या कहूँ आज, जो नहीं कही!
हो इसी धर्म पर वज्रपात
यदि धर्म, रहे नत सदा माथ
इस पथ पर, मेरे कार्य सकल
हो भ्रष्ट शिथिल के-से शरतल!
कन्ये, गत कर्मों का अर्पण
कर, करता मैं तेरा तर्पण!"
 

Question: 1

कवि द्वारा स्वयं को ‘भाग्यहीन’ कहने का कारण नहीं हो सकता :

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जब कवि आत्मवेदना व्यक्त करता है, तो उसका आधार अक्सर निजी जीवन की घटनाएँ होती हैं — बाहरी पहचान नहीं।
Updated On: Jul 23, 2025
  • युवावस्था में ही पुत्री की मृत्यु हो जाना
  • पुत्री के जन्म देते ही पत्नी का देहांत हो जाना
  • पति रूप में अपनी जिम्मेदारियों को न निभा पाना
  • कवि रूप में साहित्य जगत में पहचान न मिल पाना
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The Correct Option is D

Solution and Explanation

पद्यांश में कवि ने अपने जीवन की दुखद घटनाओं का उल्लेख करते हुए ‘भाग्यहीन’ होने की बात कही है — जिसमें पारिवारिक त्रासदियाँ जैसे पत्नी की मृत्यु, पुत्री का देहांत, और पति रूप में स्वयं की असफलता सम्मिलित हैं।
इन सभी घटनाओं ने उनके जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा और उन्हें पीड़ा दी।
लेकिन "कवि रूप में साहित्य जगत में पहचान न मिल पाना" ऐसी कोई निजी पारिवारिक या भावनात्मक पीड़ा नहीं है, जिसे कवि 'भाग्यहीनता' का कारण माने।
यह साहित्यिक मान्यता से जुड़ा विषय हो सकता है, परंतु जीवन की व्यक्तिगत दुःखद घटनाओं के सामने यह कारण गौण लगता है। अतः यही उत्तर उपयुक्त नहीं है।
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Question: 2

प्रस्तुत पंक्तियों का मूल भाव क्या है ?

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करुणा रस तब उत्पन्न होता है जब काव्य हमें किसी की पीड़ा से भीतर तक जोड़ देता है — जैसे यहाँ कवि की व्यक्तिगत व्यथा।
Updated On: Jul 23, 2025
  • करुणा
  • वात्सल्य
  • शांत
  • भय
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने जीवन की पीड़ा, व्यक्तिगत क्षति और आत्मग्लानि की भावनाओं को उजागर किया है।
पत्नी की मृत्यु, पुत्री का असमय चले जाना और अपने कर्तव्यों को न निभा पाने का पश्चाताप — ये सभी प्रसंग करुण रस को प्रकट करते हैं।
कविता में पाठक को कवि की वेदना का अनुभव होता है, जो सीधे हृदय को स्पर्श करती है। यही करुणा का मूल लक्षण है।
अन्य विकल्पों जैसे “वात्सल्य” (माता-पिता की ममता), “शांत” (मोक्ष या तटस्थता) और “भय” (डर या आतंक) — कविता की भावभूमि से मेल नहीं खाते।
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Question: 3

निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए :
कथन : कवि अपने कवि-कर्म पर वज्रपात होने की कामना कर रहा है।
कारण : कवि-कर्म में लीन रहने के कारण ही वह पितृ धर्म का पालन नहीं कर सका।

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जब भी कथन और कारण पूछे जाएँ, देखें कि क्या कारण सीधे तौर पर कथन को समझाता है या नहीं — यही उत्तर की कुंजी होती है।
Updated On: Jul 23, 2025
  • कथन सही है, किंतु कारण ग़लत है।
  • कथन और कारण दोनों ग़लत हैं।
  • कथन सही है और कारण उसकी उचित व्याख्या करता है।
  • कथन सही है, किंतु कारण उसकी उचित व्याख्या नहीं करता है।
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

कवि अपने कर्तव्यों का निर्वाह ठीक से न कर पाने की पीड़ा से ग्रसित है और वह आत्मग्लानि में डूबा हुआ है।
वह स्वयं को ‘भाग्यहीन’ मानता है और कवि-कर्म को ही उसके पितृधर्म से विमुख होने का कारण बताता है।
इसलिए वह चाहता है कि उसके कवि-कर्म पर वज्रपात हो — अर्थात् वह अपनी लेखकीय व्यस्तता को ही दोष देता है।
यह स्पष्ट करता है कि कथन और कारण दोनों सही हैं और कारण, कथन की उपयुक्त व्याख्या करता है।
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Question: 4

कवि अपने सभी कार्यों के श्रथ (नष्ट) होने की तुलना किससे कर रहा है ?

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प्रश्न में तुलना की बात हो तो छवि और प्रतीक पर ध्यान दें — कमल का मुरझाना यहाँ कवि की असहायता का प्रतीक है।
Updated On: Jul 23, 2025
  • अतिशय बारिश में नष्ट हो चुके कमलों से
  • सर्दी के प्रकोप से खराब हो चुके कमलों से
  • वज्रपात होने के कारण खराब हो चुके कमलों से
  • सर्दी के प्रकोप से नष्ट हो चुकी फसलों से
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The Correct Option is B

Solution and Explanation

पद्यांश में कवि ने अपने जीवन के समस्त कार्यों और कर्मों की विफलता को एक प्राकृतिक छवि से जोड़ा है।
वह अपने कर्मों को उन कमलों की तरह मानता है जो सर्दी के प्रकोप से मुरझा गए हैं — अर्थात् सुंदर, उपयोगी और फलदायक होते हुए भी नष्ट हो गए।
यह तुलना अत्यंत प्रभावशाली और करुणापूर्ण है। यह दर्शाती है कि कवि को अपनी सर्जनात्मकता पर गर्व नहीं, बल्कि पश्चाताप है।
अन्य विकल्प जैसे वज्रपात या अतिवृष्टि की तुलना से वह गहराई और सांकेतिकता नहीं मिलती जो 'सर्दी के प्रकोप से मुरझा गए कमल' में है।
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Question: 5

उपयुक्त काव्यांश के आधार पर एक शोक-संतप्त पिता किन मनोभावों से घिरा हुआ दिखता है ?
I. वह अपने सभी अच्छे कर्मों को पुत्री के लिए अर्पित कर रहा है।
II. कवि-कर्म पर वज्रपात हो ऐसी कामना कर रहा है।
III. दुख की इस घड़ी में धर्म-अधर्म का अंतर भूल जाना चाहता है।

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जब विकल्पों में कथन आधारित प्रश्न हों, तो प्रत्येक बिंदु को काव्य की स्पष्ट पंक्तियों से मिलाना ज़रूरी होता है।
Updated On: Jul 23, 2025
  • I, II और III तीनों
  • I और II दोनों
  • I और III दोनों
  • II और III दोनों
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The Correct Option is B

Solution and Explanation

काव्यांश में कवि एक शोकाकुल पिता के रूप में प्रस्तुत होता है जो अपनी पुत्री की मृत्यु से अत्यंत दुखी है।
वह अपने समस्त अच्छे कर्मों को उसकी शांति के लिए अर्पित करता है (I) और स्वयं अपने कवि-कर्म को शोक का कारण मानते हुए उस पर वज्रपात होने की कामना करता है (II)।
हालाँकि III में उल्लिखित "धर्म-अधर्म का अंतर भूल जाना" जैसे विचार की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति कविता में नहीं है, अतः वह उपयुक्त नहीं है।
इसलिए I और II ही उचित मनोभाव दर्शाते हैं।
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