निम्न पंक्तियाँ पढ़कर उत्तर दीजिए—
चींटी को देखा?
वह सरल, विरल काली रेखा,
तम के तागे-सी जो हिल-डुल
चलती लघु पद पल-पल मिल-जुल,
वह है पिपीलिका पाँति।
देखो ना, किस भाँति
काम करती वह सतत!
कण-कण कणक चुनती अविरत।
(i) उपयुक्त पंक्तियों का संदर्भ लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) उपयुक्त कविता से क्या शिक्षा प्राप्त होती है?
Step 1: दृश्य का अर्थ-आलोक.
'सरल, काली रेखा'—चींटियों की क़तार; 'तम के तागे-सी'—उपमा से रंग/आकृति का बोध।
Step 2: रेखांकित अंश की व्याख्या.
'कण-कण' की पुनरुक्ति पद-गौरव एवं अनुप्रास का भाव देती है—निरंतरता का प्रभाव बढ़ता है।
Step 3: नीतिपरक निष्कर्ष.
सामूहिकता और सतत श्रम व्यक्ति-निर्माण का मूल तत्व है—यही कविता का संदेश है।
निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए :
जीवन नैया
मँझधार में डोले,
सँभाले कौन ?
रंग-बिरंगे
रंग-संग लेकर
आया फागुन।
काँटों के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेरणा।
(1)(ii) आकृति पूर्ण कीजिए :

निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए :
जीवन नैया
मँझधार में डोले,
सँभाले कौन ?
रंग-बिरंगे
रंग-संग लेकर
आया फागुन।
काँटों के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेरणा।
(1)आकृति पूर्ण कीजिए :
(i)

निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए : घन घमंड नभ गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा ॥
दामिनि दमक रहहिं घन माहीं। खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं ॥
बरषहिं जलद भूमि निअराएँ। जथा नवहिं बुध विद्या पाएँ ॥
बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे। खल के बचन संत सह जैसे ॥
छुद्र नदी भरि चली तोराई। जस थोरेहुँ धन खल इतराई ॥
भूमि परत भा ढाबर पानी। जनु जीवहिं माया लपटानी ॥
समिटि-समिटि जल भरहिं तलावा। जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा ॥
सरिता जल जलनिधि महुँ जाई। होई अचल जिमि जिव हरि पाई ॥
(1)उत्तर लिखिए :
\[\begin{array}{|l|l|l|} \hline (i) & गरजने वाले & - \dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots \\ \text{(ii)} & \text{चमकने वाली} & \text{- \dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots} \\ \hline \text{(iii)} & \text{बूँद के आघात सहने वाले} & \text{- \dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots} \\ \hline \text{(iv)} & \text{दुष्ट के वचन सहने वाले} & \text{- \dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots} \\ \hline \end{array}\]
निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए : विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम।
'यवन' को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि
मिला था स्वर्ण भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि।
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं
हमारी जन्मभूमि थी यहीं, कहीं से हम आए थे नहीं।......
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न।
(2)(i) पद्यांश से लय-ताल युक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए : विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम।
'यवन' को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि
मिला था स्वर्ण भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि।
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं
हमारी जन्मभूमि थी यहीं, कहीं से हम आए थे नहीं।......
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न।
(1) कृति पूर्ण कीजिए :

Find the unknown frequency if 24 is the median of the following frequency distribution:
\[\begin{array}{|c|c|c|c|c|c|} \hline \text{Class-interval} & 0-10 & 10-20 & 20-30 & 30-40 & 40-50 \\ \hline \text{Frequency} & 5 & 25 & 25 & \text{$p$} & 7 \\ \hline \end{array}\]