Comprehension

नक्शों में जंगल हैं पेड़ नहीं
नक्शों में नदियाँ हैं पानी नहीं
नक्शों में पहाड़ हैं पत्थर नहीं
नक्शों में देश है लोग नहीं
समझ ही गए होंगे आप कि हम सब
एक नक्शे में रहते हैं

हमारी एड़ियाँ और चप्पलों से लेकर
वर्दियाँ और चोटों के निशान
नज़र और स्मृतियाँ सहित नप चुके हैं
और नक्शे तैयार हैं

नक्शों में नदियाँ अब भी कितनी
साफ़ हैं और चमकदार
कहली हुई
'हमें तो अब यही अच्छा लगता है'

नक्शों में गतियाँ हैं, लक्ष्य हैं, दिशाएँ हैं
अतीत हैं, भविष्य हैं और सब तरह के रंग
वहां नहीं है
बाज़ार की रोटियाँ और धनिये-पुदीने की चटनी तक
नक्शों में आ चुकी है
नक्शे की एक बस्ती बर्बरता हमसे पूछते हैं
'भाई साहब,
कहां' हम नक्शे से बाहर तो नहीं छूट जायेंगे'

Question: 1

‘पैंट और चप्पल’ प्रतीकार्थ हैं –

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कविता में प्रतीकों का प्रयोग रोज़मर्रा की सच्चाइयों और आमजन के जीवन को उजागर करने के लिए किया जाता है।
Updated On: Jul 28, 2025
  • शरीर के अधोभाग में धारण करने वाली चीजों के
  • दैनिक जीवन में काम आने वाली चीजों के
  • शरीर को आराम पहुँचाने वाली चीजों के
  • शरीर की सुंदरता को बढ़ाने वाली चीजों के
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The Correct Option is B

Solution and Explanation

‘पैंट और चप्पल’ आम जीवन की वे वस्तुएँ हैं जो सामान्य व्यक्ति की दिनचर्या में उपयोग में आती हैं। ये प्रतीक जीवन की सरलता, आवश्यकताओं और साधारण लोगों के जीवन से जुड़े यथार्थ को प्रकट करते हैं।
यह प्रतीक बताता है कि कवि का ध्यान उच्च भौतिक सुख-सुविधाओं की बजाय उन चीजों पर है जो जीवन जीने के
इसलिए इन प्रतीकों का प्रयोग, दैनिक जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं और आमजन की जिजीविषा को दर्शाने हेतु किया गया है।
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Question: 2

‘वलीदियत’ शब्द इशारा करता है –

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‘वलीदियत’ जैसे शब्दों के भावार्थ समझने से साहित्यिक संदर्भ और सांस्कृतिक मूल्यों की गहराई स्पष्ट होती है।
Updated On: Jul 28, 2025
  • नक्शे में खींचे गए निशान की ओर
  • देश और समाज से मिली परंपराओं की ओर
  • पुरखों और परंपरा से मिली विरासत की ओर
  • वालिद से मिली संपत्ति और विरासत की ओर
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

‘वलीदियत’ शब्द अरबी मूल से आया हुआ है, जिसका संबंध वंश, पूर्वजों, परंपरा और पारिवारिक विरासत से है। यह शब्द उस सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को सूचित करता है जो किसी व्यक्ति को उसके पूर्वजों और परंपराओं से प्राप्त होती है। इसलिए, यह शब्द न केवल भौतिक संपत्ति की ओर संकेत करता है, बल्कि मूल्यों, विश्वासों, संस्कृति और परंपरा की उस विरासत की ओर भी इंगित करता है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती आई है।
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Question: 3

काव्यांश में प्रयुक्त ‘बाजरे की रोटियाँ और धनिये–पोदीने की चटनी’ प्रतीकार्थ है –

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प्रतीकों को समझने के लिए उनके भावात्मक और सांस्कृतिक संदर्भ को ध्यान में रखना आवश्यक होता है।
Updated On: Jul 28, 2025
  • हमारे स्वाद का
  • ग्रामीण भोजन का
  • पारंपरिक भोजन का
  • सादे भोजन का
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

काव्य में प्रयुक्त "बाजरे की रोटियाँ और धनिये–पोदीने की चटनी" न केवल एक सामान्य भोजन का उल्लेख है, बल्कि यह प्रतीकात्मक रूप से भारतीय जनमानस के स्वाद और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतिनिधित्व करता है। यह उन स्वादों का प्रतीक है जो हमारी स्मृतियों, परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत में रचे-बसे हैं। यह भोजन आम जनजीवन से जुड़ा हुआ है और इसका उल्लेख कवि की आत्मीयता, जीवन से जुड़ाव और अपनी मिट्टी से प्रेम को दर्शाता है।
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Question: 4

‘नक़्श और स्मृतियाँ धुंधले पड़ चुके हैं’ — का क्या अभिप्राय है ?

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अतीत की स्मृतियाँ समाज की चेतना को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
Updated On: Jul 28, 2025
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Solution and Explanation

इस पंक्ति में कवि आधुनिक समाज की संवेदनहीनता और भौतिकता की ओर झुकाव को उजागर करता है। ‘नक़्श’ यहाँ प्रतीक हैं हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान के, और ‘स्मृतियाँ’ हमारे ऐतिहासिक अनुभवों, मूल्यों और जीवन पद्धतियों की प्रतीक हैं। धुंधलापन इस बात को दर्शाता है कि आज का मानव अपने अतीत से, अपनी जड़ों से कटता जा रहा है। हम जिन मूल्यों, विचारों और परंपराओं से जुड़े थे, वे अब हमारे जीवन में उतने स्पष्ट और प्रभावी नहीं रहे। तेज़ी से बदलती जीवनशैली, तकनीकी विकास और वैश्वीकरण ने हमारी स्मृति को म्लान कर दिया है, जिससे हम अपने मार्गदर्शक स्रोतों को भूलने लगे हैं।
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Question: 5

‘नदियों को नक़्शे में ही रहना अच्छा लगता है’ — पंक्ति के माध्यम से क्या कटाक्ष किया गया है ?

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कविता में ‘नदी’ केवल जलस्रोत नहीं, बल्कि जीवन, संस्कृति और चेतना की प्रतीक होती है।
Updated On: Jul 28, 2025
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Solution and Explanation

यह पंक्ति हमारे सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण पर तीखा कटाक्ष करती है। कवि ने यहाँ यह दर्शाने का प्रयास किया है कि नदियाँ, जो एक समय जीवनदायिनी थीं, आज केवल नक़्शों, पाठ्यपुस्तकों और सरकारी कागज़ों में सजीव प्रतीत होती हैं। वास्तविकता में वे प्रदूषण, शोषण और उपेक्षा का शिकार बन चुकी हैं। यह एक विडंबना है कि नदियों की रक्षा करने की बजाय हमने उन्हें केवल ‘जानकारी’ के स्रोत में सीमित कर दिया है। यह पंक्ति प्राकृतिक संसाधनों के प्रति हमारे उदासीन रवैये और केवल प्रतीकात्मक संरक्षण की आलोचना करती है।
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Question: 6

‘हम नक्शों से बाहर छूट तो नहीं जाएंगे’ — पंक्ति में प्रयुक्त ‘हम’ कौन हैं और उनकी क्या चिंता है ?

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‘नक्शे’ कभी-कभी सिर्फ सीमाएं नहीं, बल्कि मान्यता और अस्तित्व का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।
Updated On: Jul 28, 2025
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Solution and Explanation

इस पंक्ति में ‘हम’ का तात्पर्य उन लोगों से है जो समाज की मुख्यधारा में नहीं हैं — जैसे ग्रामीण, आदिवासी, सीमांत समुदाय, और वे लोग जिनकी न तो प्रशासनिक योजनाओं में पर्याप्त भागीदारी है और न ही उन्हें सामाजिक पहचान प्राप्त है।
उनकी चिंता यह है कि क्या विकास, प्रशासनिक निर्णय और नीतियों में उनका कोई स्थान रहेगा या वे हाशिए पर ही रहेंगे। 'नक्शे' यहाँ मात्र भौगोलिक नहीं हैं, बल्कि नीति-निर्धारण और सामाजिक विमर्श के प्रतिनिधि हैं। यह पंक्ति उन लोगों की पीड़ा का बयान करती है जो अपने अस्तित्व और पहचान को लेकर चिंतित हैं।
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