'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
राष्ट्रप्रेम और स्वतंत्रता संग्राम: 'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य में राष्ट्रप्रेम और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्व को प्रमुखता से चित्रित किया गया है। यह काव्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और इसके नायक के समर्पण को दर्शाता है।
महात्मा गाँधी का नेतृत्व: इस काव्य में महात्मा गाँधी के नेतृत्व की विशेषताएँ और उनके अहिंसा के सिद्धांत को अत्यधिक महत्व दिया गया है। गाँधी जी के सत्याग्रह, असहमति को सहने की शक्ति, और अहिंसा के विचार इस काव्य के केंद्रीय तत्व हैं।
स्वतंत्रता की प्राप्ति के संघर्ष: काव्य में भारत के स्वतंत्रता संग्राम के कठिन दिनों और संघर्षों का चित्रण किया गया है। यहाँ पर राजनीतिक, सामाजिक, और मानसिक संघर्षों को व्यक्त किया गया है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण: 'मुक्तियज्ञ' में आध्यात्मिकता का भी बड़ा स्थान है, जहाँ यह दिखाया गया है कि स्वतंत्रता की प्राप्ति केवल बाहरी संघर्ष नहीं, बल्कि एक आंतरिक मुक्ति और जागरूकता का भी विषय है।
नैतिक बलिदान: काव्य में महात्मा गाँधी और उनके अनुयायियों द्वारा किए गए नैतिक बलिदान को प्रमुखता से दर्शाया गया है। यह बलिदान केवल बाहरी संघर्षों के नहीं, बल्कि आत्मबलिदान के रूप में भी प्रस्तुत किया गया है।
काव्य के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक और नैतिक पहलुओं को बड़ी सूक्ष्मता से व्यक्त किया गया है।