'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य के प्रधान नायक महात्मा गांधी हैं। वे इस काव्य में सत्य, अहिंसा, त्याग, राष्ट्रभक्ति और संघर्ष के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं।
सत्य और अहिंसा के उपासक:
गांधीजी ने सत्य और अहिंसा को अपने जीवन का मूल मंत्र बनाया। वे अपने विचारों पर अडिग रहते थे और अन्याय के विरुद्ध अहिंसक आंदोलन चलाते थे।
राष्ट्रभक्ति और स्वतंत्रता संग्राम:
वे भारत की स्वतंत्रता के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ संघर्ष करते हैं। उनका हर कार्य देशहित में होता है।
संयम और धैर्य:
गांधीजी विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य नहीं खोते और अपने अनुयायियों को शांति और प्रेम का संदेश देते हैं।
जननायक और समाज सुधारक:
वे न केवल स्वतंत्रता संग्राम के नेता थे, बल्कि छुआछूत, सामाजिक असमानता और महिला सशक्तिकरण के पक्षधर भी थे।
त्याग और बलिदान:
गांधीजी व्यक्तिगत सुख और स्वार्थ से परे रहकर देश की स्वतंत्रता के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देते हैं।
महात्मा गांधी इस खंडकाव्य में मानवता, संघर्ष और बलिदान के प्रतीक हैं। वे केवल एक नेता ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणा भी हैं।