'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य में महात्मा गाँधी का चरित्र अत्यंत प्रेरणादायक और संघर्षशील रूप में प्रस्तुत किया गया है। उनका व्यक्तित्व एक महान नेता, समाज सुधारक, और स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्त्रोत के रूप में उभरता है।
अहिंसा और सत्य के प्रति समर्पण: गाँधी जी का चरित्र अहिंसा और सत्य के प्रति अडिग समर्पण को दर्शाता है। उनका विश्वास था कि असत्य और हिंसा के बिना कोई भी आंदोलन सफलता प्राप्त नहीं कर सकता।
नैतिक नेतृत्व: 'मुक्तियज्ञ' में गाँधी जी के नेतृत्व को नैतिक रूप से सशक्त दिखाया गया है। उनका नेतृत्व किसी भी प्रकार के भौतिक बल से नहीं, बल्कि अपने अनुयायियों के बीच सत्य और न्याय के प्रति विश्वास और आस्था से प्रेरित था।
सत्याग्रह और असहमति का सम्मान: गाँधी जी ने सत्याग्रह और असहमति का सम्मान करने का सिद्धांत अपनाया। उन्होंने राजनीतिक संघर्षों को अहिंसा के माध्यम से हल किया, और यह उनके सिद्धांतों का एक अभिन्न हिस्सा था।
व्यक्तिगत बलिदान: गाँधी जी का चरित्र व्यक्तिगत बलिदान का प्रतीक है। उन्होंने अपने जीवन में कई बार व्यक्तिगत सुख-चैन को त्यागकर राष्ट्र की भलाई के लिए संघर्ष किया।
समाज सुधारक: गाँधी जी ने केवल राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष नहीं किया, बल्कि सामाजिक सुधारों के लिए भी आवाज़ उठाई। छुआछूत, महिलाओं के अधिकार और किसानों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने अनेक प्रयास किए।
गाँधी जी का यह चरित्र न केवल राष्ट्रीय, बल्कि वैश्विक दृष्टिकोण से भी एक आदर्श प्रस्तुत करता है। उनका जीवन यह दर्शाता है कि आंतरिक सत्य और न्याय के बल पर कोई भी व्यक्ति बड़ा कार्य कर सकता है।