'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य एक धार्मिक और समाज सुधारक काव्य रचना है, जिसमें शुद्धता, धर्म, और आत्म-ज्ञान की महत्वपूर्ण विशेषताएँ प्रस्तुत की गई हैं। इसके प्रमुख गुण और विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
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\item धार्मिकता और आध्यात्मिकता: इस खण्डकाव्य में धार्मिकता और आध्यात्मिकता का गहरा प्रभाव है। यह आत्म-ज्ञान, मोक्ष की प्राप्ति, और ईश्वर के प्रति भक्ति की बातें करता है।
\item सामाजिक सुधार का संदेश: 'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वासों के खिलाफ एक आंदोलन है। इसमें समाज के सुधार के लिए जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया है।
\item काव्यशैली और संदेश: काव्यशैली में गहरी दार्शनिकता के साथ सरलता का भी समावेश है। लेखक ने जीवन के सत्य और समाज में अच्छाई की ओर मोड़ने के लिए रचनात्मकता का उपयोग किया।
\item आध्यात्मिक मुक्ती की ओर प्रेरणा: यह खण्डकाव्य आत्ममुक्ति की दिशा में एक प्रेरणा है, जिसमें व्यक्ति को अपने कर्मों और मानसिकता से परे उठकर जीवन को सही दिशा में जीने के लिए प्रेरित किया गया है।
\item मानवीय मूल्य और नारी सम्मान: खण्डकाव्य में मानवीय मूल्यों, नैतिकता, और नारी के सम्मान की महत्ता को प्रमुखता से दर्शाया गया है।
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'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य भारतीय साहित्य का एक प्रमुख उदाहरण है, जिसमें धर्म, समाज सुधार और मानवता के उच्चतम आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा दी जाती है।