'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य का नायक एक धार्मिक, आध्यात्मिक और समर्पित व्यक्ति है, जो जीवन में मुक्ति की प्राप्ति के लिए सच्चे मार्ग पर चलता है। नायक का चरित्र पूरी तरह से भगवान के प्रति भक्ति, आत्मशुद्धि, और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन में आधारित है।
नायक की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
आध्यात्मिक समर्पण: नायक का जीवन भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति से भरा हुआ है। वह भगवान के आदेशों का पालन करता है और उन्हें अपनी जीवनधारा मानता है। उसकी भक्ति और साधना से ही उसकी आत्मा शुद्ध होती है।
धर्म और कर्तव्य का पालन: नायक ने जीवन में धर्म और कर्तव्य को सर्वोपरि रखा है। वह समाज और अपने परिवार के लिए अपने कर्तव्यों को निभाता है, और यही कारण है कि उसे भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
साधना और तपस्या: नायक ने आत्मा की शुद्धि और मुक्ति प्राप्ति के लिए कठिन साधना और तपस्या की है। उसकी जीवनशैली में योग, ध्यान और तपस्या की महत्वपूर्ण भूमिका है।
समाज के प्रति जिम्मेदारी: नायक ने समाज को सुधारने और उसे सही मार्ग पर चलाने के लिए भी अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारित किया है। वह न केवल व्यक्तिगत मोक्ष की ओर बढ़ता है, बल्कि समाज के भले के लिए भी कार्य करता है।
सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना: नायक सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलता है, और उसका जीवन इसी आदर्श के अनुसार आकार लेता है। वह अपने कर्मों से यह साबित करता है कि सत्य ही मुक्ति का मार्ग है।
नायक का चरित्र 'मुक्तियज्ञ' खण्डकाव्य में एक आदर्श रूप प्रस्तुत करता है, जो हमें बताता है कि आत्मा की शुद्धि और मुक्ति के लिए भक्ति, साधना, और समाज के प्रति जिम्मेदारी का निर्वहन कितना महत्वपूर्ण है।