Question:

“मैंने निज दुर्बल पद-बल, उससे हारी होड़ लगाई” ‘देवसेना का गीत’ से उद्धृत इस पंक्ति से आपको क्या प्रेरणा मिलती है? 
 

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यहाँ प्रेरणा आत्मबल और प्रयास से जुड़ी है — हार की संभावना के बावजूद कोशिश करते रहना ही विजयी भावना की पहचान है।
Updated On: Jul 21, 2025
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Solution and Explanation

यह पंक्ति हमें साहस, आत्मबल और संघर्ष की प्रेरणा देती है।
कवि स्वीकार करता है कि उसका शरीर दुर्बल है, उसके पास शक्ति नहीं है, फिर भी वह उस विराट शक्ति से होड़ लगाता है जिससे पहले ही हार सुनिश्चित है।
यह दर्शाता है कि हार-जीत से अधिक महत्वपूर्ण है प्रयास और आत्मविश्वास।
जब कोई व्यक्ति अपनी सीमाओं को जानते हुए भी लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है, तभी उसमें सच्चा पराक्रम प्रकट होता है।
यह पंक्ति यह सिखाती है कि पराजय की आशंका के बावजूद भी संघर्ष करना ही जीवन का वास्तविक साहस है।
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