Question:

कस्य साहित्यं सरसं मधुरं च अस्ति ?

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इस श्लोक में गुणों की परस्पर अनुकूलता और उनके एकत्रित प्रभाव की महिमा का उल्लेख है, जो व्यक्ति के जीवन को पूर्ण और संतुलित बनाता है।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

यह श्लोक गुणों के परस्पर सम्बन्ध और उनकी महिमा पर आधारित है। श्लोक का अर्थ है: "ज्ञान, मौन, क्षमा, शक्ति, त्याग और श्लाघा ये सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इन्हें एक स्थान पर प्रतिष्ठित करना तभी संभव है, जब ये गुण एक-दूसरे से संबंधित हों। जैसे कि माता के गर्भ में बच्चा अपने गुणों को एकत्र करता है, वैसे ही गुण भी एक दूसरे के साथ जुड़कर अपना पूर्ण रूप ग्रहण करते हैं।" यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि किसी भी गुण को प्राप्त करने के लिए उसे परस्पर जोड़कर और समन्वित रूप से अपनाना होता है। यही जीवन में सही संतुलन और आत्मा की शुद्धता का मार्ग है।
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