Question:

‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ में शरणार्थी किन्हें कहा गया है ? वे अपने ही देश में शरणार्थी कैसे बन गए ?

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ऐसे प्रश्नों में ऐतिहासिक और भावनात्मक दोनों दृष्टिकोणों को उत्तर में शामिल करना चाहिए।
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Solution and Explanation

‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ में कश्मीरी पंडितों को शरणार्थी कहा गया है। वे लोग जो वर्षों से कश्मीर की घाटियों में रहते आए थे, वहाँ की संस्कृति, भाषा, और रीति-रिवाजों में रच-बस गए थे — उन्हें आतंकवाद, हिंसा और मजहबी कट्टरता के चलते अपने ही घरों से पलायन करना पड़ा।
इन शरणार्थियों ने अपने स्वदेश में ही शरण ली — जम्मू, दिल्ली और अन्य राज्यों में जाकर अस्थायी शिविरों में जीवन बिताया। वे वास्तविक रूप में बेघर हो गए। न उन्हें पूर्णरूपेण कश्मीरी माना गया, न ही वे अन्यत्र नागरिक के रूप में अपनाए गए। यही कारण है कि लेखक ने उन्हें “ऐसे शरणार्थी जिनकी कोई वापसी नहीं” कहा।
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