निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इतिहास से विरासत में हमें ‘भारतीय संगीत’ जैसी अमूल्य निधि मिली है । अन्य देशों के संगीत की अपेक्षा इसकी विशेषता हमारे पूर्वजों की मान्यता के आधार पर है । भारत में संगीत क्षणिक आमोद-प्रमोद या अतृप्त तृष्णा की वस्तु न होकर, समस्त ब्रह्मांड से प्रेरणा का आभास है, आनंद प्रदान करने वाली आध्यात्मिक साधना है । मानव को ब्रह्म तक ले जाने वाला मार्ग है । संगीत के इस स्वरूप और ध्येय को हमारी सभ्यता के प्रारंभ में ही हमारे देश के लोगों ने पहचान लिया था और इसका विकास इन्हीं आदर्शों के अनुरूप किया गया था । भारतीयों के संगीत-प्रेमी होने की बात को उल्लेख मेघनादसाह ने भी की है । दूसरी शताब्दी ई.पू. में उन्होंने ‘इंडिका’ नामक अपने ग्रंथ में लिखा है कि ‘सर्व जातियों की अपेक्षा भारतीय लोग संगीत के कहीं अधिक प्रेमी हैं ।’
सहस्रों वर्षों से हमारे घरेलू और सांसारिक जीवन में लगभग सभी काम किसी न किसी प्रकार के संगीत से आंष्रित होते रहे हैं । जन्म से लेकर मृत्यु तक यह संगीत हमारे साथ बना रहता है । नामकरण, कर्णछेदन, विवाह इत्यादि में तो संगीत होता ही है । साथ ही ऐसा कोई तीज-त्योहार नहीं होता जिसमें संगीत न हो । घर में ही क्यों, हमारे यहाँ तो खेत में, चौपाल में, चक्की चलाने में और धान कूटने के समय भी संगीत चलता ही रहता है । यह हमारे जन-जीवन के उल्लास को प्रकट करने का प्रभावी साधन है ही, साथ में उसको गतिमान बनाने का भी प्रबल अस्त्र है । संगीत रचनात्मक कार्यों में असर होने की सामूहिक स्मृति और प्रेरणा प्रदान करता है और वह सामूहिक शक्ति देता है, जो हमें उन कार्यों को करने योग्य बनाता है जो अकेले या समूह में संगीत की प्रेरणा के बिना नहीं कर पाते ।
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्पों को चुनकर लिखिए :
भक्तिन की कंजूसी के प्राण पूंजीभूत होते-होते पर्वताकार बन चुके थे; परंतु इस उदारता के डायनामाइट ने क्षणभर में उन्हें उड़ा दिया । इतने थोड़े रुपयों का कोई महत्व नहीं; परंतु रुपयों के प्रति भक्तिन का अनुराग इतना प्रख्यात हो चुका है कि मेरे लिए उसका परित्याग मेरे महत्व की सीमा तक पहुँचा देता है । भक्तिन और मेरे बीच में सेवक-स्वामी का संबंध है, यह कहना कठिन है; क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता, जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी के चले जाने का आदेश पाकर अवज्ञा से हँस दे । भक्तिन की नौकर कहना उतना ही असंभव है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरों-उजालों और आँगन में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना ।
‘हमें अपने रंगों का पता नहीं है’ — से अभिप्राय है —
‘हम भूल जाते हैं कि जीवन बहुरंगी है’ — पंक्ति में जीवन के बहुरंगी होने का अर्थ है —
निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए:
कथन: प्रकृति के कई रंग हैं और रंगों में कोई होड़ नहीं है।
कारण: प्रकृति सहज ही एक दिन में कई रंग बदलती है।
प्रकृति के माध्यम से लेखक हमें क्या संदेश देना चाहता है ?
What could be the reason for the disintegration of Gondwana? (Journey to the End of the Earth)
"On the basis of the given image, explain the steps which may be taken by the Government of India to control the indicated macroeconomic issue."
नक्शों में जंगल हैं पेड़ नहीं
नक्शों में नदियाँ हैं पानी नहीं
नक्शों में पहाड़ हैं पत्थर नहीं
नक्शों में देश है लोग नहीं
समझ ही गए होंगे आप कि हम सब
एक नक्शे में रहते हैं
हमारी एड़ियाँ और चप्पलों से लेकर
वर्दियाँ और चोटों के निशान
नज़र और स्मृतियाँ सहित नप चुके हैं
और नक्शे तैयार हैं
नक्शों में नदियाँ अब भी कितनी
साफ़ हैं और चमकदार
कहली हुई
'हमें तो अब यही अच्छा लगता है'
नक्शों में गतियाँ हैं, लक्ष्य हैं, दिशाएँ हैं
अतीत हैं, भविष्य हैं और सब तरह के रंग
वहां नहीं है
बाज़ार की रोटियाँ और धनिये-पुदीने की चटनी तक
नक्शों में आ चुकी है
नक्शे की एक बस्ती बर्बरता हमसे पूछते हैं
'भाई साहब,
कहां' हम नक्शे से बाहर तो नहीं छूट जायेंगे'
मित्रों के साथ स्टेडियम में मैच देखने का आनंद — इस विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए।