Comprehension

ईर्ष्या से बचने का उपाय मानसिक अनुशासन है । जो व्यक्ति ईर्ष्यालु स्वभाव का है, उसे फालतू बातों के बारे में सोचने की आदत छोड़ देनी चाहिए । उसे यह भी पता लगा लेना चाहिए कि जिस अभाव के कारण वह ईर्ष्यालु बन गया है, उसकी पूर्ति का रचनात्मक तरीका क्या है ? जिस दिन उसके भीतर यह जिज्ञासा जगेगी, उसी दिन से वह ईर्ष्या करना कम कर देगा । 
 

Question: 1

उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का शीर्षक एवं लेखक का नाम लिखिए ।

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अपनी पाठ्य-पुस्तक के सभी गद्य पाठों के शीर्षक और उनके लेखकों के नाम अच्छी तरह याद कर लें। यह प्रश्न लगभग हर परीक्षा में पूछा जाता है।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

पाठ का शीर्षक: ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से
लेखक का नाम: रामधारी सिंह 'दिनकर'
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(नोट: चूँकि कोई अंश रेखांकित नहीं है, हम इस महत्वपूर्ण वाक्य की व्याख्या करेंगे: "उसे यह भी पता लगा लेना चाहिए कि जिस अभाव के कारण वह ईर्ष्यालु बन गया है, उसकी पूर्ति का रचनात्मक तरीका क्या है ?")

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व्याख्या करते समय 'रचनात्मक तरीका' का अर्थ स्पष्ट करें। इसका अर्थ है - सकारात्मक और निर्माणकारी ढंग से प्रयास करना, न कि नकारात्मक या विनाशकारी सोच रखना।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

रेखांकित अंश की व्याख्या:
लेखक रामधारी सिंह 'दिनकर' जी ईर्ष्या से बचने का उपाय बताते हुए कहते हैं कि ईर्ष्यालु व्यक्ति को आत्म-निरीक्षण करना चाहिए।
उसे यह समझने का प्रयास करना चाहिए कि उसके मन में ईर्ष्या का भाव किस कमी (अभाव) के कारण उत्पन्न हो रहा है। वह दूसरों की किस वस्तु, गुण या सफलता को देखकर जलता है, जो उसके पास नहीं है।
जब उसे अपनी उस कमी का ज्ञान हो जाए, तो उसे उस अभाव को पूरा करने के लिए सकारात्मक (रचनात्मक) ढंग से प्रयास करना चाहिए। उसे विध्वंसक ईर्ष्या को छोड़कर सृजनात्मक कार्य में लगना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि कोई पड़ोसी की कार देखकर ईर्ष्या करता है, तो उसे मेहनत करके स्वयं कार खरीदने का प्रयास करना चाहिए, न कि पड़ोसी की कार को नुकसान पहुँचाने के बारे में सोचना चाहिए।
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Question: 3

ईर्ष्या से बचने के लिए लेखक किस आदत को छोड़ने की सलाह देता है ?

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गद्यांश पर आधारित प्रश्नों का उत्तर हमेशा गद्यांश में दी गई जानकारी के आधार पर ही दें। उत्तर सीधा और सटीक होना चाहिए।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

गद्यांश के अनुसार, ईर्ष्या से बचने के लिए लेखक ईर्ष्यालु व्यक्ति को 'फालतू बातों के बारे में सोचने की आदत छोड़ने' की सलाह देता है।
लेखक का मानना है कि ईर्ष्यालु व्यक्ति अपना अधिकांश समय दूसरों की कमियाँ खोजने और उनकी निंदा करने जैसी व्यर्थ की बातों में नष्ट कर देता है। यदि वह इस आदत को छोड़कर अपने अभाव को पूरा करने में लग जाए, तो वह ईर्ष्या से मुक्त हो सकता है।
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