निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर संबंधित उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए :
आज पूरी दुनिया में व्यापक जल संकट है। एक तरफ हिमनद (ग्लेशियर) का पिघलना और दूसरी तरफ बर्बादी-खुबाई का बढ़ता आना हो रहा है। आमतौर पर नदियों में पानी बढ़ रहा है। हिमनद जब पिघलते हैं, तो उन नदियों के उद्धार का पास ही लोग उसका उपयोग करने लगते हैं। हिमनदों के पिघलने के कारण हमारी पर्यावरण भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। नदियों की बहती प्रवाह में अपने ही धीमी-धीमी गति बदलती जा रही है। जल–वायु संकट में आता जा रहा है, उनके जल–वोषण का संकट, उससे होने वाले प्रभाव अत्यंत बहुत हैं। जिन्हें हिमनद पिघलते हैं, उनके आपस–रूपथल जल की कमी होती है। जल और तापमान के कारण पृथ्वी नई स्थितियों का सामना सामना आ सकता है। इस संकट में होने वाले कारण के उपाय उपाय बहुत हैं।
उपर्युक्त गद्यांश में लेखक की चिंता का विषय क्या है?
गद्यांश के अनुसार, शिक्षक समाज के भविष्य निर्माताओं को तैयार करने में एक अहम भूमिका निभाते हैं। ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता माना जाता है, और शिक्षक भी अपने छात्रों को ज्ञान और मूल्यों से पोषित करके एक बेहतर भविष्य का निर्माण करते हैं। इसलिए, समाज के भविष्य को आकार देने की महत्वपूर्ण भूमिका के कारण गुरु को ब्रह्मा कहा गया है।
निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़कर उचित विकल्प का चयन कीजिए :
कथन : मानव जाति के लिए नई सोच और दृष्टिकोण विकसित करना शिक्षक का दायित्व है।
कारण : हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा और ग्रंथों में गुरु को महान बताया गया है।
शिक्षक को पथ-प्रदर्शक क्यों कहा जाता है ? किन्हीं दो बिंदुओं का उल्लेख कीजिए।
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए :
हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का इस तरह मज़ाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा। मुँहकर देखता तो अवाक रह गए। एक बेहद बौना मगर्यम-सा लुंजा आदमी सिर पर गाँधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए। एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बैनर था- बहुत-से चमकते पोस्टर अभी-अभी एक गली से निकलता आ और अब एक बंद दुकान के सहारे अपना बैनर टिका रहा था। यह इस बेचारे की दुकान थी नहीं! फिर लगता है! हालदार साहब चक्कर में पड़ गए। पूछना चाहते थे, इसे देशभक्त क्यों कहते हैं? क्या यही इसका वास्तविक नाम है? लेकिन पानवाले ने साफ कह दिया था कि अब वह इस बंद दुकान के तैयार नहीं। साहबजी भी बेचैन हो रहा था, कुछ कहा भी था। हालदार साहब जीप में बैठकर चले गए।
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
हर्बल-ऑर्गेनिक (जैविक) आहार ऐसे आहार होते हैं जो प्राकृतिक रूप से शुद्ध और ताज़े होते हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। पर्यावरण व्यंजन, पेड़ पदार्थ, फल-सब्जियाँ और मसाले ऋतु के अनुसार हमारे भोजन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। परंपरागत और स्वदेशी भोजन एवं पेड़ पदार्थ पाश्चात्य फास्टफूड एवं रसायन युक्त कोल्ड ड्रिंक्स के शानदार विकल्प हैं। सरकार, व्यापारियों और दुकानदारों को नया कुछ भी नहीं करना है। बस उन्हें पहले से स्थापित भोजनों, दुकानों एवं नैसर्गिक स्थानों, कम्पनी कार्यालयों की कैंटीनों, मॉलों तक इनको पहुँचाना है। परंपरागत खाद्य पदार्थों के साथ आधुनिक खाद्य एवं पेड़ पदार्थों की बिक्री के लिए विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए। आर्गेनिक फलों और सब्जियों के ताजा सूप, जूस, शेक, दूध, छाछ, लस्सी, शरबत, ठंडाई, हर्बल चाय, घी, गेहूँ, मक्का या बाजरे की रबड़ी, नींबू की शिकंजी के साथ आर्गेनिक फल भी उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाए जा सकते हैं। साधारण ढाबों से लेकर पाँच सितारा होटलों तक सलाद, नारियल पानी, जुवारे का जूस, तरबूज का जूस, सत्तू और छाछ जैसे पेड़ पदार्थों को उपलब्ध करवाकर इनको उपभोक्ताओं में लोकप्रिय बनाया जा सकता है। पोषक से हर्बल फ़ूड सेंटर बनाकर यहाँ आर्गेनिक हरी सब्जियाँ, दालों एवं मिलेट्स से निर्मित भोजन भी उपलब्ध करवाया जा सकता है। अंकुरित दालें, अनाज, दही, मक्खन, मक्का की चाट को भी लोकप्रिय बनाया जा सकता है। भारतीय स्वदेशी परंपरागत पेय पदार्थ, व्यंजन एवं मिठाइयाँ, बाजार में लोकप्रिय होने से स्वदेशीकरण, समृद्ध किसान और आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। इस लक्ष्य को भेदने को ही सरकार ने सबको फ्री की रासायनिक खेती से खराब होने खेतों और मानव स्वास्थ्य को भी बचाया जा सकता है।
परंपरागत भोजन को लोकप्रिय कैसे बनाया जा सकता है ?
i. उपलब्ध करवाकर
ii. प्रचार-प्रसार द्वारा
iii. बिक्री की विशेष व्यवस्था करके
iv. घर-घर मुफ्त अभियान चलाकर विकल्प:
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पिता हमेशा रुक्ष नहीं होता, सदैव कठोर व्यवहार से घर को संचालित नहीं करता क्योंकि वह भीतर से सौम्य प्रकृति का होता है। पिता का प्रेम दिखाई नहीं देता, उसे महसूस किया जा सकता है। बाहर से कठोर दिखाई देने वाला पिता भीतरी हालात का होता है। जिस घर में पिता बच्चों के साथ बातचीत करता है, हँसता-बोलता है, उनके सभी क्रियाकलापों में सहयोग करता है, उसी घर में बच्चों का मानसिक व शारीरिक विकास उचित रूप से हो पाता है। अच्छी और सुसंस्कृत संतान हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है। बच्चों के पालन-पोषण में दोनों समान भूमिका निभाते हैं। आज का युग इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जहाँ माता-पिता दोनों कामकाजी हैं। भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में घर के साथ दफ्तर भी संभालना होता है। ऐसे में केवल माँ के भरोसे घर और बच्चों को सँभालना सही नहीं है। दोनों के सहयोग से ही घर को सँभाल पाना संभव होता है। पिता का दायित्व आज दफ्तर की सीमा से निकलकर घर तक आ गया है। बच्चों को सुबह उठाकर स्कूल भेजने से लेकर होमवर्क करवाने तक सभी कार्यों में उसकी समान भागीदारी आज अपेक्षित है। आज नई पीढ़ी के युवा घर में इन जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते देखे जा सकते हैं। वर्तमान समय में पढ़े-लिखे कामकाजी एकल परिवार में व्यक्ति का जीवन दबाव में ही दिखता है, चाहे वह पढ़ाई का हो, कैरियर का हो अथवा कार्यक्षेत्र में हो। परिवार का खुशनुमा और परस्पर स्नेहपूर्ण वातावरण उस दबाव से बाहर निकलने में सहायक बनता है।
निम्नलिखित पठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उचित विकल्प चुनकर लिखिए:
ग्वालियर से बंबई की दूरी ने संसार को काफी कुछ बदल दिया है। वसोर्वा में जहाँ आज मेरा घर है, पहले यहाँ दूर तक जंगल था। पेड़ थे, परिंदे थे और दूसरे जानवर थे। अब यहाँ समुंदर के किनारे लंबी-चौड़ी बस्ती बन गई है। इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सकते हैं उन्होंने वहीं-वहाँ डेरा डाल लिया है। इनमें से दो कबूतरों ने मेरे फ्लैट के एक मचान में घोंसला बना लिया है। बच्चे अभी छोटे-छोटे हैं। उनके खिलाने-पिलाने की जिम्मेदारी अभी बड़े कबूतरों की है। वे दिन में कई-कई बार आते-जाते हैं। और क्यों न आएं-जाएं! आखिर उनका भी घर है। लेकिन उनके आने-जाने से हमें परेशानी भी होती है। वे कभी किसी चीज को गिराकर तोड़ देते हैं। कभी मेरी लाइब्रेरी में घुसकर कबीर या मिर्ज़ा गालिब को सताने लगते हैं। इस रोज-रोज की परेशानी से तंग आकर मेरी पत्नी ने उस जगह जाली का अखाड़ा बना दिया, एक जाली लगा दी है, उनके बच्चों को दूसरी जगह कर दिया है। उनके आने की खिड़की को भी बंद किया जाने लगा है। खिड़की के बाहर अब दोनों कबूतर रात-भर खामोश और उदास बैठे रहते हैं।
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपवूर्क पढ़कर उस पर आधािरत पछे गए प्रश्नों के उत्तर :
गीत कह रहे हैंअपने िदनांक
चालूदुःखों और में है
िजन की जो हकदारी बनती है
उसे अिनवायर्तौर पर
सौंप दी जाए तुरंत
तीसरे स्तंभ के प्रमुख,
िक उन्हें लग रही है शंका
अभी के िलए मलभू त हक़ों में है :
जीने का भी हक़ ।
***
सब खोले रखने अिनवायर्
तभी तो आपात दशा पड़े
बाहर के पैग़ाम
िहलती िदखें सींवरें ,
धलों से ढका रहे चेहरा ू
फलों से गवाही
िवशालकाय गीत अटूट सत्य
गाथा-गाथी-सी िवस्तृत
और मनुष्य के मेघ,
बाहर बने रहे यह देखें ,
नहीं समय की झािड़यों में , नहीं नीचे
पुस्तक वाली आंखों एक अदृश्य तर
लकीर, बना रहे वही जो िवस्तृत
और अनंत तक फै ला है
बस उन्हीं के हवाले है ।
काशी में कलाधर-हनुमान हैं और नृत्य-विश्वनाथ हैं ।
(सरल वाक्य में बदलिए)
शहनाई की जादुई आवाज का असर हमारे सिर चढ़कर बोलने लगता है । (मिश्र वाक्य में बदलिए)