Comprehension

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर संबंधित उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए :

आज पूरी दुनिया में व्यापक जल संकट है। एक तरफ हिमनद (ग्लेशियर) का पिघलना और दूसरी तरफ बर्बादी-खुबाई का बढ़ता आना हो रहा है। आमतौर पर नदियों में पानी बढ़ रहा है। हिमनद जब पिघलते हैं, तो उन नदियों के उद्धार का पास ही लोग उसका उपयोग करने लगते हैं। हिमनदों के पिघलने के कारण हमारी पर्यावरण भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। नदियों की बहती प्रवाह में अपने ही धीमी-धीमी गति बदलती जा रही है। जल–वायु संकट में आता जा रहा है, उनके जल–वोषण का संकट, उससे होने वाले प्रभाव अत्यंत बहुत हैं। जिन्हें हिमनद पिघलते हैं, उनके आपस–रूपथल जल की कमी होती है। जल और तापमान के कारण पृथ्वी नई स्थितियों का सामना सामना आ सकता है। इस संकट में होने वाले कारण के उपाय उपाय बहुत हैं।

Question: 1

उपर्युक्त गद्यांश में लेखक की चिंता का विषय क्या है?

Updated On: May 30, 2025
  • पिघलते हिमनद
  • घटते वन प्रदेश
  • प्रदूषित होती नदियाँ
  • बढ़ता जल संकट
    \textbf{सही उत्तर:} (D) बढ़ता जल संकट
    \textbf{समाधान:}
    गद्यांश की पहली ही पंक्ति में लेखक स्पष्ट रूप से "व्यापक जल संकट" की बात करता है।
    इसके अतिरिक्त, गद्यांश में हिमनदों के पिघलने और नदियों के बदलते प्रवाह का उल्लेख जल संकट के संदर्भ में किया गया है, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।
    अतः, लेखक की मुख्य चिंता का विषय बढ़ता हुआ जल संकट है। % Quick Tip % Quick Tip \begin{quicktipbox} गद्यांश के मुख्य विचार को समझने के लिए, पहले और अंतिम वाक्यों पर विशेष ध्यान दें।
    अक्सर, लेखक अपनी मुख्य चिंता या विषय का परिचय शुरुआत में ही दे देता है।
    इसके अतिरिक्त, पूरे गद्यांश में बार-बार आने वाले शब्दों या वाक्यांशों से भी मुख्य विषय की पहचान की जा सकती है। \end{tcolorbox} \textbf{गुरु को ब्रह्मा क्यों कहा गया है ?}
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The Correct Option is B

Solution and Explanation

लेखक की चिंता का विषय घटते वन प्रदेश है।

गद्यांश में जल संकट, हिमनदों का पिघलना, नदियों के जल प्रवाह में बदलाव, और पर्यावरणीय प्रभावों के कारण आने वाली समस्याओं का उल्लेख किया गया है। इन सबका एक मुख्य कारण वनों की कमी और घटते वन प्रदेश भी माना जा सकता है।

वन प्रदेश जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे वर्षा को रोकते हैं, जल स्तर को बनाए रखते हैं और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। जब वन क्षेत्र घटते हैं, तो जल चक्र प्रभावित होता है, जिससे जल संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं बढ़ती हैं।

इसलिए, लेखक की चिंता केवल जल संकट तक सीमित नहीं है, बल्कि वह पर्यावरण के व्यापक संरक्षण, खासकर वन क्षेत्रों की कमी के प्रभावों को लेकर भी गंभीर है। घटते वन प्रदेश से जुड़ी समस्याएं सीधे तौर पर जल संकट और पर्यावरणीय असंतुलन को जन्म देती हैं, जो पृथ्वी के लिए एक बड़ी चुनौती हैं।
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Question: 2

गुरु को ब्रह्मा क्यों कहा गया है ?

Updated On: May 30, 2025
  • छात्रों के हित के भीतर छिपी कल्याण-भावना के कारण
  • समाज के भविष्य निर्माताओं को तैयार करने की भूमिका के कारण
  • छात्रों के जीवन पर सकारात्‍मक प्रभाव डालने के कारण
  • रोजगार हेतु विद्यार्थियों में कौशल विकास करने के कारण
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The Correct Option is B

Solution and Explanation

गुरु को ब्रह्मा इसलिए कहा गया है क्योंकि वह समाज के भविष्य निर्माताओं को तैयार करने की भूमिका निभाता है।

गुरु का कार्य केवल ज्ञान देना ही नहीं होता, बल्कि वह विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों और सही मार्गदर्शन का भी प्रमुख स्रोत होता है। वह युवा पीढ़ी को जीवन के सही रास्ते पर ले जाकर उन्हें समाज के हित में कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

इस प्रकार, गुरु समाज का आधार है जो भविष्य के नागरिकों और नेतृत्वकर्ताओं को तैयार करता है, इसलिए उसे ब्रह्मा के समान माना गया है, जो सृष्टि के रचयिता हैं। गुरु के बिना समाज की उन्नति संभव नहीं होती।
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Question: 3

निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़कर उचित विकल्प का चयन कीजिए :

कथन : मानव जाति के लिए नई सोच और दृष्टिकोण विकसित करना शिक्षक का दायित्व है।
कारण : हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा और ग्रंथों में गुरु को महान बताया गया है।

Updated On: May 30, 2025
  • \( \text{कथन तथा कारण दोनों गलत हैं।} \)
  • \( \text{कारण सही है लेकिन कथन गलत है।} \)
  • \( \text{कथन सही है लेकिन कारण कथन की सही व्याख्या नहीं है।} \)
  • \( \text{कथन तथा कारण दोनों सही है तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।} \)
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

कथन सही है क्योंकि शिक्षक का कार्य केवल ज्ञान देना ही नहीं है, बल्कि वह मानव जाति के लिए नई सोच, नवीन दृष्टिकोण और बदलाव को जन्म देने का दायित्व निभाता है। शिक्षक समाज में जागरूकता फैलाने, विचारों को परिष्कृत करने और विद्यार्थियों को नए युग के लिए तैयार करने का महत्वपूर्ण माध्यम होता है।

कारण भी आंशिक रूप से सही है कि हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा और ग्रंथों में गुरु को महान माना गया है। गुरु का स्थान अत्यंत प्रतिष्ठित है क्योंकि वह केवल शिक्षा ही नहीं देता बल्कि चरित्र निर्माण और जीवन-दर्शन भी सिखाता है।

हालांकि, कारण कथन का सही व्याख्या नहीं करता क्योंकि गुरु की महानता और शिक्षक का दायित्व अलग-अलग पहलू हैं। गुरु की महानता से यह सीधे सिद्ध नहीं होता कि शिक्षक का दायित्व नई सोच और दृष्टिकोण विकसित करना है। इसलिए, कारण कथन की सही व्याख्या नहीं है, पर दोनों स्वतंत्र रूप से सत्य हैं।
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Question: 4

शिक्षक को पथ-प्रदर्शक क्यों कहा जाता है ? किन्हीं दो बिंदुओं का उल्लेख कीजिए।

Updated On: May 30, 2025
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Solution and Explanation

गद्यांश में शिक्षक की भूमिका को स्पष्ट करते हुए बताया गया है कि वे छात्रों को जीवन-कौशल और नैतिक मूल्यों का ज्ञान प्रदान करते हैं।

एक पथ-प्रदर्शक की तरह शिक्षक भी विद्यार्थियों को सही दिशा दिखाते हैं। जैसे एक पथ-प्रदर्शक यात्रियों को सही मार्ग पर ले जाता है और उनकी मंजिल तक पहुँचने में सहायता करता है, वैसे ही शिक्षक अपने छात्रों के जीवन में मार्गदर्शन करते हैं।

शिक्षक न केवल ज्ञान की रोशनी फैलाते हैं, बल्कि वे छात्रों को सही और गलत के बीच का अंतर समझाते हैं, उनके चरित्र निर्माण में मदद करते हैं और उन्हें नैतिक एवं सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करते हैं। वे छात्रों में आत्मविश्वास, अनुशासन और सहिष्णुता जैसे गुणों का विकास करते हैं, जो जीवन में सफलता और सम्मान पाने के लिए आवश्यक हैं।

शिक्षक की यह भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वे केवल शिक्षार्थी नहीं बल्कि भविष्य के नागरिकों और समाज के निर्माता होते हैं। इसलिए, अपने छात्रों को सही दिशा और मार्गदर्शन प्रदान करने के कारण ही शिक्षक को पथ-प्रदर्शक कहा जाता है। वे छात्रों के जीवन में एक स्थायी प्रभाव छोड़ते हैं, जो उनकी समग्र विकास और प्रगति का आधार बनता है।
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Question: 5

कबीरदास जी ने गुरु की तुलना कुम्हार से क्यों की है ? किन्हीं दो कारणों को स्पष्ट कीजिए।

Updated On: May 30, 2025
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Solution and Explanation

यद्यपि यह प्रश्न गद्यांश पर आधारित नहीं है, कबीरदास जी ने अपनी वाणी में गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए उनकी तुलना कुम्हार से की है।

कुम्हार मिट्टी को रौंदकर, उसे आकार देकर और सावधानीपूर्वक उसे उपयोगी बर्तन बनाता है। इसी प्रकार, गुरु भी अपने शिष्यों के भीतर छिपी कमियों को पहचानकर उन्हें दूर करते हैं और ज्ञान, नैतिकता तथा अच्छे गुणों से परिपूर्ण करते हैं।

कुम्हार बर्तन बनाते समय बाहर से थपथपाता है ताकि बर्तन मजबूत बने और अंदर से सहारा देता है जिससे वह टिकाऊ हो। उसी तरह गुरु अपने शिष्यों को प्यार, सहानुभूति और अनुशासन के साथ शिक्षित करते हैं, जिससे उनका चरित्र और व्यक्तित्व मजबूत होता है।

इस प्रकार, कबीरदास जी की इस तुलना से यह स्पष्ट होता है कि गुरु का कार्य केवल शिक्षा देना नहीं है, बल्कि वह शिष्य के संपूर्ण विकास के लिए मार्गदर्शक, संरक्षक और सुधारक की भूमिका निभाते हैं, जो जीवन में सफलता और श्रेष्ठता के लिए आवश्यक है।
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