Question:

दिए गए संस्कृत श्लोकों में से किसी एक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए:
किंसिद्ध प्रवसतो मित्रं, किंसिद्ध गृहमेव सतः। 
आतुरस्य च किं मित्रं, किंसिद्ध मित्रं मरणेः॥ 
मङ्गलं मरणं यत्र विभूतिर्वर्ण भूषणम्। 
कौशेयं यत्र कौशेयं काशि के नोपरायणम्॥ 
 

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नीति/तीर्थ-महिमा के श्लोकों में अनुवाद + संक्षिप्त विवेचन दें—उदाहरण/संदर्भ जोड़ने से उत्तर प्रभावी बनता है।
Updated On: Oct 10, 2025
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Solution and Explanation

(संदर्भ व विवेचन): 
श्लोक–1:
Step 1: संदर्भ. नीति-शास्त्रीय श्लोक जीवन-स्थितियों में सच्चे सहायक को पहचानने की शिक्षा देता है। 
Step 2: भावार्थ. परिस्थिति-विशेष में उचित/सच्चा मित्र बदल सकता है—पर मृत्यु-क्षण में केवल धर्म/कर्म ही साथ देता है। 
श्लोक–2:
Step 1: संदर्भ. श्लोक काशी की मोक्ष-भूमि और धार्मिक–आध्यात्मिक महिमा का गुणगान करता है। 
Step 2: भावार्थ. काशी में मृत्यु भी मोक्ष का द्वार है, भस्म/विभूति पवित्र मानी जाती है—अतः वह श्रेष्ठ तीर्थ है। 
 

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